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रात भर अमिताभ बच्चन उनके साथ ही जागे. उस दिन को याद करते हुए उन्होंने एक बार बताया था कि ‘उन दिनों डैड घर पर नहीं थे. डॉक्टर्स को मैंने तीन-चार चिट्ठी लिखी. एक नौकर को दौड़ाया. उन दिनों मैं बहुत छोटा था. रात भर मां के सिरहाने बैठा रहा. जागता रहा. डैड ने एक बार सिखाया था कि अगर टेकवाली कुर्सी होगी तो नींद जल्दी आएगी. मुझे अभी भी याद है मैं रात भर स्टूल पर बैठा था, ताकि मुझे नींद नहीं आए. कहीं मां को मेरी जरूरत पड़े तो…वो रात मैं भूल नहीं सकता’.
इतना ही नहीं अपनी मां की पुण्यतिथि पर अमिताभ बच्चन ने एक बार लिखा था कि ‘प्रस्थान का दुख एक निरंतर रहने वाला दु:ख है. ये एक मौन छोड़ जाता है और एक ऐसे खालीपन से भर जाता है जो लगता है कि कभी नहीं भरेगा, जो पीछे छूट जाते हैं उनके लिए ये दर्द असहनीय होता है और इसे समझना बहुत मुश्किल होता है. यह मां के जाने की याद है. वह हमें छोड़कर चली गईं. दुनिया में सभी माएं सबसे सुंदर हैं. यही कारण है कि वे मां हैं’.
उन्होंने आगे लिखा था ‘उसके गुजरने के वे क्षण हमेशा जेहन में बने रहेंगे, वो कभी नहीं मिटेंगे. उन्होंने हर स्थिति में हमारे लिए हंसी-खुशी और जीवन का सार लाया. सबसे हताश परिस्थितियों में भी वह आपके पास बैठी थीं, आपके माथे को सहलाया और अचानक उसकी हथेलियों की कोमलता ने सारी चिंता और भय को दूर कर दिया. वह हम सब में बसती है. उनकी स्मृति, उनकी उपस्थिति, उनका आशीर्वाद .. हमारे साथ आज की रात है और कई आने वाले कल में भी रहेगा’.