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Death Anniversary: पद्मभूषण अवार्ड से सम्मानित एक्टर A. K. Hangal आखिरी दिनों में हुए दाने दाने को मोहताज, इलाज कराने तक के नहीं बचे थे पैसे

26 अगस्त 2012 को एके हंगल (A. K. Hangal)का हुआ था निधन
उनकी आज 8वीं डेथ एनिवर्सरी है।

Aug 26, 2020 / 02:48 pm

Pratibha Tripathi

AK Hangal is 8th Death Anniversary

AK Hangal is 8th Death Anniversary

नई दिल्ली। बॉलीवुड की रंगीन दुनिया एक जादुई दुनिया है, यहां कलाकार रातोंरात स्टार और सुपर स्टार बन जाता है, लेकिन इस रंगीन चकाचौंध भी दुनिया में कलाकरों के सितारे कब गर्दिश से ज़मीं पर आ जाएं इसके बारे में कोई नही जानता। ऐसा ही कुछ हुआ 80-90 के दशक की ब्लॉक बस्टर फिल्म ‘शोले’ के रहीम चाचा का किरदार निभाने वाले एक्टर एके हंगल (A. K. Hangal)के साथ। आज 26 अगस्त को उनकी 8वीं डेथ एनिवर्सरी है। उनका निधन 2012 में हुआ था। एक्टर एके हंगल का पूरा नाम अवतार किशन हंगल था। बॉलीवुड में उन्होंने करीब 225 फिल्मों में कई तरह के किरदार निभाकर दर्शकों के दिलों में एक खास मुक़ाम हासिल किया। भले ही वो किसी भी फिल्म में लीड रोल में नजर ना आए हों लेकिन कम समय के किरदार में ही वो ऐसे छा जाते थे कि लोग उनकी भूमिका को जन्म जन्मांतर तक याद रखते थे। आज

यह एक्टर (AK Hangal is 8th Death Anniversary)हमारे बीच नही है लेकिन इस एक्टर ने नाम शोहरत पैसा सब कुछ हासिल किया, पर बाद में उनके आखिरी दिन बेहद ही तंगी के साथ गुजारे थे। वे अपने आखिरी दिनों में पाई-पाई तक के लिए मोहताज हो गए थे। उनके पास इलाज कराने तक के पैसे नहीं बचे थे।

यह बात बहुत कम ही लोग जानते हैं कि उनका रिश्ता देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के साथ भी था। जवाहर लाल नेहरू की पत्नि कमला नेहरू के साथ उनकी मां के बहन के संबंध थे हंगल का बचपन पाकिस्तान के पेशावर में बीता। यहीं वो थिएटर किया करते थे।

1929 से लेकर 1947 तक उन्होंने देश को आजाद कराने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी थी। मार्क्सवादी होने की वजह से वो कराची की जेल में दो साल बंद रहे थे। 1949 में जेल से छूटने के बाद वो अपने परिवार के साथ मुंबई आ गए। और यही पर आकर उन्होनें फिल्मों से अपने करियर की शुरूआत की। 52 साल की उम्र में उनकी पहली 1966 में रिलीज हुई फिल्म तीसरी कसम थी। इसके बाद वो लगातार 70, 80 और 90 के दशक तक वो फिल्में करते रहे।

उन्होंने राजेश खन्ना के साथ 16 फिल्मों में काम किया था। इसके अलावा उनकी सुपरहिट फिल्में हीर रांझा, नमक हराम, शौकीन, आइना, अर्जुन, आंधी, तपस्या, कोरा कागज, बाबर्ची, छुपा रुस्तम, बालिका वधू, गुड्डी, नरम गरम जैसी फिल्में रहीं।

2006 में फिल्मों में उनके अहम योगदान के लिए उन्हें पद्मभूषण से नवाजा गया था। लेकिन अंतिम समय में उनकी जिंदगी एक छोटे से कमरे में रहकर गुजरी थी। वो 95 साल की उम्र में अपने बेटे के साथ खंडहर जैसे घर में रहते थे। उस दौरान उनकी हालत इतनी खराब हो गई थी कि उनके पास दवाई लाने तक के लिए पैसे नही थे। आखिरी वक्त में उनके फेंफड़ों ने काम करना बंद कर दिया जिसके चलते उनका निधन हो गया।

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