लक्षण: कमर में दर्द रहना, एक पैर में सुन्नपन रहना, पंजे में कमजोरी आना, एक पैर में पंजे तक दर्द जाना, पेशाब करने में तकलीफ।
इलाज : अगर सियाटिका का कारण स्लिपडिस्क है तो इसका इलाज माइक्रोलम्बर डिसकेक्टमी से होता है। इस तकनीक में मात्र एक या डेढ़ इंच का चीरा कमर में लगाया जाता है और जो नस दबी होती है केवल उसी के आस-पास की मामूली हड्डी औरडिस्क को माइक्रोस्कोप की मदद से हटाया जाता है। इससे रीढ़ की हड्डी की बनावट में कुछ बदलाव नहीं आता और मरीज को ऑपरेशन के बाद दर्द से छुटकारा मिल जाता है।
इससे पहले बड़े चीरे से ऑपरेशन किया जाता था और अधिक मात्रा में हड्डी वडिस्क निकाली जाती थी जिससे रीढ़ में विकार आने की आशंका रहती थी। ऐसे व्यक्ति जिन्हें कमर और पैर में दर्द रहते हुए छह सप्ताह से अधिक हो गए हों तथा जिन्हें आराम व दर्द निवारक दवाओं से विशेष आराम नहीं आया हो, माइक्रोलम्बर डिसकेक्टमी से इलाज करा सकते हैं। माइक्रोलम्बर डिसकेक्टमी के लिए उपयुक्त वहडिस्क होती है जो कि बीचों-बीच न होकर एक किनारे पर हो।
प्रमुख कारण –
स्लिपडिस्क के कारण दबाव।
स्पाइनल कैनाल का सिकुड़ना।
रीढ़ की हड्डी में वर्टिब्रा का एक दूसरे पर खिसकना।