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बॉडी एंड सॉल

जानें क्या है “सेल्फी सिंड्रोम’, कहीं आप भी तो इसकी चपेट में नहीं हैं ?

जानिए सोशल मीडिया फेसबुक , ट्विटर आदि कैसे हमें नार्सिसिस्ट/आत्ममोही बना रहा है। स्मार्ट मोबाइल फोन के कारण उपजी ‘सेल्फी’ के चलन से दुनियाभर में नार्सिसिज्म के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।

Jan 04, 2019 / 03:46 pm

विकास गुप्ता

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जानिए सोशल मीडिया फेसबुक , ट्विटर आदि कैसे हमें नार्सिसिस्ट/आत्ममोही बना रहा है। स्मार्ट मोबाइल फोन के कारण उपजी ‘सेल्फी’ के चलन से दुनियाभर में नार्सिसिज्म के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।

नार्सिसिज्म-आत्ममोह-आत्ममुग्धता क्या है ?

नार्सिसिस्ट एक व्यक्तित्व से जुड़ा मनोरोग है जिसमें इंसान का खुद के प्रति लगाव इतना बढ़ जाता है कि उसे दूसरों की परवाह नहीं रहती। ऐसे मनोरोग से ग्रस्त लोग अपने रंग-रूप, शरीर और आदतों की बढ़ा-चढ़ाकर खुद तारीफ करते हैं और अपनी कमजोरियों को छिपाते हैं। स्मार्ट मोबाइल फोन के कारण उपजी ‘सेल्फी’ के चलन से दुनियाभर में नार्सिसिज्म के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।

नार्सिसिज्म के प्रारंभिक लक्षण
सिर्फ अपनी चलाना
किसी दूसरे व्यक्ति की बातों को सुनने के दौरान उसे नकारना, खंडन करना, नजरअंदाज करना, उसे कम आंकना और उसकी चिंताओं के प्रति बेपरवाह होना।

अपने में ही रमे रहना
खुद में ही रमकर स्वार्थ से भरे काम करना। कभी किसी के प्रति उदारता दिखाना तो भी केवल खुद का काम निकालने या अपनी चिंता के लिए के किसी दूसरे का सहारा लेना।

कानून-कायदों को ताक पर रखना
ऐसी सोच रखना कि मैं सभी कानून-कायदों से ऊपर हूं और मुझे कुछ मानने या न मानने की जरूरत नहीं।

आलोचना न सहन कर पाना
उचित कारण से आलोचना होने पर भी सहन न कर पाना और हिंसक व्यवहार करने लगना।

जिम्मेदारी लेने से साफ इंकार करना
कोई भी जिम्मेदारी का काम लेने से बचना। कभी कुछ गलत हो जाए तो जल्दी से दूसरों पर दोषारोपण कर बच निकलना।

बहुत जल्दी गुस्सा होना
किसी भी नापसंद बात पर एकदम से गुस्सा होकर चिल्लाना। किसी भी बात पर चर्चा में या फोन पर बातचीत में गुस्सा होकर पैर-पटकने लगना।

दो मशहूर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का सच

1.फेसबुक द सोशल मिरर
बहुत ज्यादा एफबी स्टेटस अपडेट करने का मतलब है कि आप नार्सिसिज्म के शिकार हैं।

विशेषज्ञ कहते हैं कि जो लोग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के दीवाने हो जाते हैं उनके नार्सिसिस्ट बनने या खुद को असुरक्षित समझने की प्रवृत्ति समानुपात में बढ़ सकती है।

फेसबुक पर नार्सिसिस्ट लोगों की पहचान: ऐसे लोग बहुत बार स्टेटस अपडेट करते हैं, नए-नए रूपों में सेल्फी डालते हैं, कवर बदलते रहते हैं, वॉल पर कुछ भी फोटो, स्टेटस लगाते हैं। ऐसा सब करने के पीछे एक ही मंशा होती है कि खुद का गुणगान किया जाए।

स्रोत : यह निष्कर्ष 18 से 25 वर्ष की उम्र के फेसबुक यूजर्स पर नार्सिसिज्म इंवेंटरी और रॉजनबर्ग सेल्फ -स्टीम स्केल का प्रयोग कर निकाले गए हैं।

अमरीका में 2012 में हुए सर्वे में तलाक विशेषज्ञ वकीलों के हवाले पता चला है कि – 2011 की तुलना में करीब 1/3 नए मामलों में फेसबुक से जुड़ा कोई न कोई मामला सामने आया है।

2- ट्विटर द सोशल मेगाफोन –
बहुत ज्यादा पोस्ट करना मतलब आप नार्सिसिज्म की चपेट में हैं।

यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन के शोधकर्ताओं ने अपनी एक नार्सिसिज्म टेस्ट स्टडी में पता लगाया है कि कॉलेज जाने वाले ऐसे बच्चों ने नार्सिसिज्म में ज्यादा नंबर पाए जो ट्विटर पर अक्सर पोस्ट अपडेट करते रहते हैं।

ट्विटर पर नार्सिसिस्ट लोगों की पहचान : ऐसे लोग, खासतौर पर युवा जो बार-बार किसी भी विषय पर कैसा भी कमेंट करें, जिसमें विषय से हटकर बहुत हल्की बाते हों, मूल ट्वीट को जबर्दस्ती गलत बताएं और कुछ भी अनर्गल पोस्ट कर सिर्फ अपना दायरा बढ़ाने की कोशिश करें। कुल मिलाकर ऐसी सोच रखें जिसमें सकारात्मकता ढूंढने से न मिले तो समझिए आपने एक नार्सिसिस्ट खोज लिया।

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