बच्चे को बंद कमरे में नहलाएं, तापमान में गर्मी हो और पानी गुनगुना होना चाहिए। नहलाने के तुरंत बाद उसके शरीर को ढंक दें। बच्चे के शरीर से सर्वाधिक उष्मा उसके सिर से बाहर निकलती है इसलिए बच्चों के सिर को ढंककर रखें। साथ ही हाथ-पैरों को भी दस्ताने-मौजों से पैक रखें। हमारे बुजेर्गों ने बच्चों को सिर पर टोपा पहनाने की जो परंपरा डाली थी वह सेहत के नजरिये से तब भी सही थी और आज भी डॉक्टर इसे अपनाने की सलाह देते हैं क्योंकि सिर से ही सबसे ज्यादा हीट लॉस होता है। इससे 90 फीसदी तक हीट लॉस बचाया जा सकता है।
गर्भ नाल हटाने के बाद कम हो सकता है बच्चे का शुगर लेवल
अब तक शिशु को गर्भ में नाल के जरिये ग्लूकोज व अन्य भोजन मिल रहा ता लेकिन जन्म के बाद नाल को हटा दिया जाता है। इससे शिशु में ग्लूकोज की कमी का खतरा बढ़ जाता है जिसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं। उसके ब्लड में शुगर का लेवल कम हो सकता है जिसे हाइपोग्लेसिमिया कहा जाता है। शुगर लेवल डाउन जाने से बच्चे के ब्रेन को नुकसान हो सकता है। इसलिए शिशु के लिए संपूर्ण आहार के रूप में उसे मां का दूध ही पिलाने के लिए कहा जाता है क्योंकि इससे सभी तत्वों की पूर्ति हो जाती है।