आइस ट्रीटमेंट
मोच, मांसपेशियों में खिंचाव, खरोंच या कटने से ऊत्तकों को नुकसान पहुंचता है। इससे चोट लगने की जगह और उसके आसपास सूजन व दर्द की शिकायत हो सकती है। बर्फ से सिकाई करने पर ऊत्तकों से खून निकलना बंद हो जाता है और सूजन भी नहीं आती। मांसपेशियों में दर्द और ऐंठन में भी कमी आती है। इन सबका असर ये होता है कि चोट या सूजन की वजह से ऊत्तकों से निकलने वाला फ्लूइड ज्यादा दूर फैलता नहीं और चोट के आसपास की जगह में कड़ापन नहीं आता।
ऐसे करें सिकाई
शरीर में जिस जगह बर्फ से सिकाई करनी हो, वहां हल्का-सा तेल लगाना चाहिए। अगर त्वचा कट गई हो या टांके लगे हों, तो उस जगह को ढक देना चाहिए, ताकि चोट वाली जगह गीली ना हो।
जिस हिस्से में तेल लगाया है, उसके ऊपर गीला सूती कपड़ा तह बनाकर रखें। अब इस कपड़े के ऊपर से बर्फ की सिकाई करें, ऐसा 5-30 मिनट तक कर सकते हैं। तीस मिनट से ज्यादा सिकाई ना करें।
करीब 5 मिनट बाद कपड़ा हटाकर देखें, अगर उसके नीचे की त्वचा गुलाबी दिख रही हो, तो सिकाई बंद कर दें। अगर अभी भी त्वचा का रंग ना बदला हो, तो 5 मिनट और सिकाई करें।
चोट के शुरुआती 48 घंटे में बर्फ की सिकाई दो से तीन घंटे के अंतराल पर की जा सकती है।
सिकाई के दौरान अगर त्वचा को तेल और भीगे कपड़े से न ढका जाए तो, ये बर्फ त्वचा को जला सकती है या अधिक ठंड से भी नुकसान पहुंच सकता है।
कब ना करें
अगर चोट वाली त्वचा ठंडे या गर्म के प्रति संवेदनशील हो।
चोट वाले हिस्से में ब्लड सर्कुलेशन कम हो या आप डायबिटीज के मरीज हों।