चमत्कारी है यह दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर, दर्शन से अहंकार का होता है अंत
हनुमान जी संकट को हरने वाले हैं और सदैव अपने भक्तों को बल व बुद्धि
प्रदान करते हैं। रतनपुर स्थित दक्षिण मुखी गिरजाबंद हनुमान मंदिर में
भक्तों को भगवान बल-बुद्धि तो प्रदान करते ही हैं।
miraculous Dakshinmuki Hanuman temple
बिलासपुर. हनुमान जी संकट को हरने वाले हैं और सदैव अपने भक्तों को बल व बुद्धि प्रदान करते हैं। रतनपुर स्थित दक्षिण मुखी गिरजाबंद हनुमान मंदिर में भक्तों को भगवान बल-बुद्धि तो प्रदान करते ही हैं। साथ ही इस मंदिर में आने वाले भक्तों के कष्टों का अंत होता है और उन्हें नई राह मिलती है। इसलिए समय के साथ मंदिर की प्रसिद्धि बढ़ती जा रही है।
11वीं शताब्दी में हुआ निर्माण
बिलासपुर से लगभग 27 किलोमीटर की दूरी पर रतनपुर के गिरजाबन क्षेत्र में दक्षिणमुखी हनुमान विराजमान है। इस मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में लगभग 1170 में राजा पृथ्वी देव ने कराया था। मंदिर के विषय में मंदिर के पुजारी ताराचंद दुबे ने बताया कि इस मंदिर में आने वाले भक्तों को भगवान नई राह दिखाते हैं। संकट के साथ ही पापों से भी मुक्ति मिलती है।
रतनपुर के अलावा पूरे प्रदेश से लोग गिरजाबन के रूप का दर्शन करने के लिए यहां आते हैं। खासतौर पर मंगलवार के दिन मंदिर में सैकड़ों भक्त दर्शन व पूजन के लिए आते हैं।
कलात्मक है मंदिर की प्रतिमा
इस मंदिर की प्रतिमा कलात्मक है। भगवान हनुमानजी के कंधे पर भगवान राम विराजे हुए नजर आते हैं। देश की अकेली कलात्मक मूर्ति है। इनके पैर के तलवे में दबे हैं दो निशाचर, यहां आकर सबका अभिमान चूर-चूर हो जाता है। इस मंदिर में दर्शन के बाद जो भी भक्त निकलता है उसके अहंकार का अंत हो जाता है।
गिरिजाबंद में ताम्रध्वज व अर्जुन ने लड़ाई के पश्चात संधि की थी
कहा जाता है कि वर्तमान गिरिजाबंध हनुमान मंदिर ही वह स्थान है, जहां ताम्रध्वज व अर्जुन ने लड़ाई के पश्चात संधि किया था। लड़ाई के दौरान ही अर्जुन के रथ का पताका यहीं पर गिरा था जिसके कारण इसे गिरिजाबंध कहते हैं।
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