एसईसीएल द्वारा 21 अप्रैल 2015 को जारी आदेश को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता विक्रांत कुमार लाल ने वकील संदीप दुबे के माध्यम से
हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता की मां विमला कुर्रे ने अपने बेटे याचिकाकर्ता के लिए आश्रित रोजगार की मांग करते याचिका दायर की थी। सुनवाई के बाद कोर्ट ने एसईसीएल प्रबंधन को याचिकाकर्ता से आवेदन लेने का निर्देश दिया था। अभ्यावेदन का निराकरण करते हुए एसईसीएल प्रबंधन ने याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन को खारिज कर दिया था।
Bilaspur High Court: यह है मामला
एसईसीएल मुनीराम कुर्रे की मृत्यु 25.मार्च.2004 को हो गई थी। वह एसईसीएल में आर्म गार्ड के पद पर कार्यरत थे। मुनीराम की मृत्यु के समय ग्रेच्युटी नामांकन फॉर्म ‘एफ’ में सुशीला (
Bilaspur High Court) कुर्रे का नाम दर्ज था, जो मृतक की पहली पत्नी थी। जबकि पेंशन नामांकन फार्म में दूसरी पत्नी विमला कुर्रे का नाम। विमला कुर्रे के साथ उनकी चार बेटियां मनीषा लाल, मंजूसा लाल, ममिता लाल, मिलिंद लाल और बेटा विक्रांत भी थे।
Anukampa Naukri Rules: पहली पत्नी के रहते मुनीराम ने की दूसरी शादी
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट के समक्ष तर्क दिया कि उत्तराधिकार न्यायालय ने पहले ही माना है कि याचिकाकर्ता वि₹ांत, मुनीराम कुर्रे (मृतक) का पुत्र है, जो विमला कुर्रे के साथ विवाह से उत्पन्न हुआ था। लिहाजा आश्रित रोजगार के लिए याचिकाकर्ता का आवेदन-अभ्यावेदन एसईसीएल द्वारा अस्वीकार नहीं किया जा सकता। एसईसीएल प्रबंधन ने अपने जवाब में विमला को मुनीराम कुर्रे (मृतक) की दूसरी पत्नी बताते हुए कहा कि वह अपनी पहली पत्नी के रहते दूसरी शादी नहीं कर सकता था। इसलिए, याचिकाकर्ता लाभ का हकदार नहीं है। कोर्ट ने एसईसीएल के तर्क से सहमति नहीं जताई।