पूरा गांव ट्रांसपोर्ट के धंधे में है जुटा
ट्रांसपोर्ट व्यवसायी मांगीलाल मंडा बताते हैं कि उनके पिता भागीरथ मंडा किसानों से अनाज एकत्र कर ट्रक से खुद कृषि मंडी में ले जाते थे। बस बिजनेस रास आ गया और ट्रक खरीदते चले गए। आज पूरा गांव इसी धंधे में जुटा हुआ है। यह भी पढ़ें – Railways : रेलवे की नई सुविधा, अब हर प्लेटफार्म पर अलग रंग की टीशर्ट में दिखेंगे वेंडर, जानें क्यूं गांव खोलना पड़ा डीटीओ ऑफिस
यह जानकार चौंक जाएंगे कि रासीसर प्रदेश का इकलौता गांव है जहां 1500 ट्रक-ट्राले और सैकड़ों बसें हैं। इस गांव से आने वाले राजस्व को देखकर जिला प्रशासन को नोखा में अलग से डीटीओ ऑफिस ही खोलना पड़ा। नोखा डीटीओ ऑफिस का राजस्व वसूली का सालाना टारगेट 46.53 करोड़ रुपए है।
वाहनों पर लिखा है गांव का नाम रासीसर
रासीसर गांव के अधिकतर लोग ट्रांसपोर्ट का बिजनेस करते हैं। चर्चा के अनुसार गांव में करीब 1500 ट्रेलर-ट्रक-डंपर, 125 बड़ी-छोटी बसें, 728 पिकअप-कैम्पर, 806 लग्जरी कारों के अलावा ऑटो समेत कई वाहन हैं। गांव में करीब 2000 दोपहिया वाहन हैं। एक बात और अधिकतर वाहनों पर गांव का नाम रासीसर लिखा हुआ है। रासीसर गांव सुविधाओं से युक्त
करोड़पति गांव रासीसर में 2 ग्राम पंचायतें हैं। यहां पर सभी मूलभूत सुविधाएं मौजूद हैं। पांच सरकारी स्कूल, सीएचसी और आयुर्वेद अस्पताल और एक पशु चिकित्सालय है।
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