राजस्थान पत्रिका ने जब पड़ताल की तो पता चला कि जिम्मेदार अधिकारियों ने नियमों को दरकिनार कर वेतन भत्ते के साथ अन्य लाभ दिए। इस तरह कर्मचारियों को विदेश में नौकरी के साथ देश में पगार व अन्य लाभ देकर सरकार को 12 करोड़ 42 लाख रुपए का चूना लगाया गया। खास बात है कि करीब तीन दशक से चल रहे इस गड़बड़झाले पर किसी की नजर नहीं गई। यही नहीं, लाभ लेने वाले कई सरकारी कर्मचारी सेवानिवृत्त होकर घर चले गए। अब ऑडिट विभाग ने वसूली के आदेश जारी किए हैं। ऐसे में सरकारी धन की वसूली गले की फांस बन गई है।
241 कर्मचारियों से वसूली के आदेश
गड़बड़ी की आशंका के चलते विश्वविद्यालय के 472 कार्मिकों (सेवानिवृत सहित) की पड़ताल की गई तो 241 कर्मचारी गड़बड़ी के आरोपी मिले। इन पर 43 प्रकार के आरोप तय किए गए। इसके साथ ही 12 करोड़ 42 लाख 18 हजार 470 रुपए की वसूली के आदेश दिए गए हैं। इससे इससे विश्वविद्यालय के कार्मिकों में हडक़ंप है।
जिम्मेदार आंख बंद कर देते रहे लाभ
बीकानेर में राजूवास की स्थापना वर्ष 2010 में की गई थी। इससे पहले कृषि विश्वविद्यालय के अंग के रूप में वर्ष 1987 से संचालन किया जा रहा था। मजे की बात है कि करीब 30 साल तक जिम्मेदार अधिकारी विदेश में नौकरी करने वाले कर्मचारियों को अनियमित कॅरियर एडवांस योजना, पदोन्नति का लाभ और नियम विरुद्ध पे-प्रोटेक्शन का लाभ देते रहे।
यह रहा गड़बड़झाला
विवि के सहायक प्रोफेसर को कॅरियर एडवांसमेंट योजना के तहत सीनियर स्केल के लिए निर्धारित अवधि से पहले एकेडमिक लेवल की स्वीकृति कर 10 लाख 70 हजार 562 रुपए का अधिक भुगतान किया। पांच शिक्षकों को उनकी नियुक्ति पर नियुक्ति तिथि से बिना प्रावधान के अग्रिम वेतन वृद्धियां देकर 14 लाख 49 हजार 538 रुपए का अधिक भुगतान किया। यह सभी अब सेवानिवृत हो चुके हैं। छह प्रोफेसर को विदेशी विश्वविद्यालय में रोजगार के लिए स्वीकृत अवैतनिक अवकाश के अलावा इस अवधि में वेतन, महंगाई भत्ता और मकान किराया भी दिया गया।
29 कार्मिकों की पे-प्रोटेक्शन वेतन नियतन को दरकिनार कर 4 करोड़ 64 लाख 59 हजार 27 रुपए का अधिक भुगतान किया गया। 20 कार्मिकों के मामलों में वरिष्ठ सहायक एवं कनिष्ठ सहायकों को वेतन नियतन के विरुद्ध 85 लाख 49 हजार 241 रुपए का गलत भुगतान किया गया।
हर साल ऑडिट फिर गड़बड़ी क्यों?
विवि की लोकल फंड, जरनल ऑडिट और एजी ऑडिट होती है। फिर यह वर्षों तक गड़बडिय़ां कैसे पकड़ में नहीं आईं। विवि में सरकार के तीन प्रमुख पदों पर कुलपति, रजिस्ट्रार और वित्त नियंत्रक नियुक्त हैं। स्थानीय निधि ऑडिट विभाग में वित्तीय अनियमितता के लिए तत्कालीन कुलपति, कुलसचिव एवं यूनिट प्रभारी को भी जिम्मेदार बताया गया है। इसमें वित्त नियंत्रक को शामिल नहीं करने पर भी सवाल उठ रहे हैं।
कमेटी से कराएंगे समीक्षा
वेटरनरी विवि के कार्मिकों की पर्सनल ऑडिट का मामला आज ही संज्ञान में आया है। ऑडिट पैरा की हाईपावर कमेटी से समीक्षा कराई जाएगी। इसके लिए विश्वविद्यालय से किसी भी तरह से सम्बद्ध नहीं रहे सेवानिवृत डिप्टी रजिस्ट्रार, वित्त नियंत्रक और उप कुलपति की तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया जाएगा। कार्मिक का पक्ष सुनकर इसकी रिपोर्ट स्थानीय निधि अंकेक्षण विभाग को दी जाएगी। इसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। – आचार्य मनोज दीक्षित, कार्यवाहक कुलपति राजूवास