गौरतलब है कि अतिवृष्टि से हेमेरां, शेरेरा, खारड़ा, राजेरा, व रुणिया बड़ाबास सहित आसपास के गांवों में 350 में कच्चे-पक्के मकान ढह गए थे। वहीं 50 से अधिक परिवार बेघर हो गए थे। खारड़ा गांव में बेघर हुए कई परिवारों ने अपने खेतों में आसरा ले रखा था। वही कई परिवारों ने उस समय गांव के सरकारी विद्यालय में आसरा लिया था लेकिन इनको अभी तक सरकारी मदद अभी तक नही मिली है।
प्रशासन ने करवाया था नुकसान का सर्वे
इन गांवों में अतिवृष्टि के बाद हुए नुकसान का जिला प्रशासन की ओर से सर्वे भी करवाया गया और पीडि़त परिवारों ने मुआवजे के लिए ऑनलाइन आवेदन की किया। मुआवजे के लिए नुकसान के आकलन के लिए घर-घर सर्वे भी किया गया लेकिन अभी तक मुआवजा नहीं मिला है। खारड़ा के मोहन सांसी व टिडाराम सांसी का परिवार आशियाना ढह जाने से सिर ढकने के लिए आज भी मुआवजे का इंतजार कर रहे हैं। इस परिवार एक साल से विद्यालय भवन में शरण ले रखी है।
कलक्टर से की मांग
पंचायत समिति सदस्य रवि सारस्वत ने जिला कलक्टर व तहसीलदार को ज्ञापन देकर इन गांवों में अतिवृष्टि से हुए नुकसान का मुआवजा देने की मांग की है। सारस्वत ने ज्ञापन में बताया कि एक वर्ष बीतने के बाद भी पीडि़तों को मुआवजा नही मिला। वहीं बीकानेर तहसीलदार से बात करनी चाही तो संतोषजनक जवाब नही दे पाए।
क्षेत्र में अतिवृष्टि से हुए नुकसान का मुआवजा अभी तक नही मिला है। जबकि प्रभावित हुए लोगों का सर्वे करवाकर ऑनलाइन आवेदन कर दिए। इस बारे में अधिकारियेां को पूर्व में अवगत करवा चुके है।
महेंद्र गोदारा, सरपंच, राजेरा, विमला देवी, सरपंच, खारड़ा