जिले के खनन क्षेत्र से रोजाना दो हजार से ज्यादा ट्रकों में बजरी-जिप्सम आदि का परिवहन हो रहा है। 15 टन क्षमता वाले ट्रकों में 60 टन माल भरना आम बात है। जो शहरों, कस्बों और गांवों से गुजरते समय सड़क को तहस-नहस कर रहे है। स्टेट हाइवे और एक्सप्रेस हाइवे तक पर ओवरलोड ट्रकों की मार पड़ रही है। यह बेधड़क टोल नाकों, रॉयल्टी नाकों और परिवहन व पुलिस के नाकों से गुजरते है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद सरकार ने परिवहन और खनिज विभाग के एकीकृत पोर्टल की व्यवस्था लागू की थी। परन्तु यह भी कारगर साबित नहीं हो रही हैं।
सुप्रीम कोर्ट के सख्त निर्देश में वाहन का चालान करने के साथ उसमें भरे क्षमता से अधिक भार को उतरवाने के लिए कहा गया। परन्तु परिवहन विभाग चालान की कार्रवाई से आगे नहीं बढ़ पाया है। टोल नाकों पर क्षमता से ज्यादा माल उतरवाने के एनएचएआई के प्रावधान की भी पालना नहीं हो रही। ओवरलोड को बढ़ावा सरकार की एमिनेस्टी स्कीम भी दे रही है। इसमें वाहन मालिक जुर्माना राशि की छूट करवा लेते हैं।
4 साल में असर नहीं
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार ने वर्ष 2019-20 में परिवहन विभाग और माइनिंग विभाग के सोफ्टवेयर को एकीकृत कर दिया। इससे खनिज की ई-टीपी और ई-रवन्ना काटते ही वाहन की पूरी जानकारी दोनों विभागों के पास पहुंच रही है। परन्तु इस व्यवस्था का ओवर लोडिंग पर कोई असर नहीं है।
खान मालिकों व डीलरों पर मेहरबानी
निदेशालय खान विभाग उदयपुर ने 27 दिसबर 2019 को आदेश जारी कर 1 जनवरी 2020 से एसओपी लागू की। इसके तहत ओवर लोडिंग वाहन के ट्रांसपोर्टर, मालिक, चालक के साथ खान मालिक व डीलर के खिलाफ कार्रवाई करने की व्यवस्था की गई। यदि ई-टीपी या रवन्ना से ज्यादा माल वाहन में भरा मिलता है तो वाहन ब्लैक लिस्टेड तक करने का प्रावधान किया गया। ई-रवन्ना के लिए वाहन तुलाई वाले कांटे का लाइसेंस भी निरस्त करना होता है। इस एसओपी के अनुसार दोनों ही विभाग कार्रवाई नहीं कर रहे है।
बचने का यह रास्ता भी
प्रदेश में माइनिंग लीज धारकों ने ओवर लोडिंग की कार्रवाई से बचने के लिए एक रास्ता और भी निकाल रखा है। वे खनन विभाग में 2 हजार रजिस्ट्रेशन शुल्क पर डीलर के रूप में पंजीयन करवाते है। इसके आधार पर खनिज लदे वाहन की ई टीपी जारी करते है। ऐसे में ओवरलोड पर खनिज विभाग कार्रवाई करता नहीं है। परिवहन विभाग की कार्रवाई को एमिनेस्टी से बेअसर कर देते है।
सुप्रीम कोर्ट भी ओवर लोडिंग पर सख्त
असल में सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवबर 2005 को परमजीत भसीन बनाम भारत संघ मामले में कहा कि ओवर लोडिंग वाहन से सड़कों को नुकसान पहुंचता है, दुर्घटनाएं बढ़ती है। मोटर वाहन अधिनियम 1988 के तहत जुर्माना राशि के साथ ही उस वाहन में भरे क्षमता से अधिक भार को उतराने के बाद ही विभाग को वाहन रिलीज करना होगा। केन्द्र सरकार के परिवहन मंत्रालय ने राजस्थान समेत राज्यों के परिवहन सचिवों को इसके बाद निर्देश भी जारी किए। 23 अगस्त 2010 को परिवहन सचिव जयपुर को तो यह भी कहा कि ओवर लोडिंग पर कार्रवाई में रियायत दे रहे है तो तुरंत वापस ले लेंवे। क्षमता से अधिक लदे माल को उतरवाने के साथ कार्रवाई की वीडियोग्राफी की जिमेदारी पुलिस, परिवहन और खनन तीनों विभागों की है।