बकरा मण्डी में सोमवार को ७ हजार रुपए से लेकर ४५ हजार रुपए तक नस्ल के अनुसार बकरों की बिक्री हुई। शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों से बकरों को बिक्री के लिए लाए लोगों का मानना है कि मंगलवार को खरीदारी चरम पर रहेगी। लोगों के अनुसार केला, सादोलाई, सत्तासर, बांगड़सर सहित अन्य जिलों से बकरे बिक्री के लिए आए हैं। मण्डी में तोतापुरी, पंजाबी, पहाड़ी, देशी सहित कई नस्लों के बकरों की मांग है। वहीं बरबरा नस्ल के बकरे आकर्षण का केन्द्र बने हुए हैं।
बीकानेर. किसी हृदय रोगी की नाडि़यों में आए ब्लॉक के लिए बायपास सर्जरी ही उपयुक्त इलाज होता है। ब्लॉक के लिए हालांकि स्टेन्ट लगाया जाता है। यह स्टेन्ट कुछ समय तक तो चल सकता है, लेकिन रोग का स्थायी समाधान नहीं कहा जा सकता है। इसी प्रकार शहर के रेलवे फाटकों की समस्या के स्थायी समाधान के लिए स्टेन्ट रूपी एलीवेटेड रोड की नहीं, बायपास रोड की जरूरत है, ताकि रेल फाटकों की समस्या से शहरवासियों को स्थायी रूप से राहत मिल सके। रेलवे फाटकों की समस्या का समाधान कई लोग एलीवेटेड रोड में ढूंढ रहे हैं और उसका समर्थन भी कर रहे हैं। यह रोड रेलवे स्टेशन के पास से होते हुए फड़ बाजार पॉइन्ट तक और वहां से सार्दुल सिंह सर्किल तक प्रस्तावित है। अर्थात यह रोड स्टेशन व केईएम रोड क्रॉस करने वालों के लिए है। यह केईएम रोड क्रॉस करने वालों के लिए तो ठीक है, लेकिन दो रेलवे फाटकों में से केवल एक फाटक पर एलीवेटेड रोड बनने से केईएम रोड पर आने के लिए एकमात्र रास्ता कोटगेट होगा। इससे क्रॉसिंग की समस्या और विकराल हो जाएगी। जाम की स्थिति जस की तस रहेगी। करोड़ों रुपए खर्च होने के बाद भी लोगों को राहत मिलेगी, इस पर संशय है। एलीवेटेड रोड बनने से दुकानों में होने वाली तोडफ़ोड़ और बेरोजगारी बढेग़ी, वह अलग है। एलीवेटेड रोड के स्थान पर अगर रेल बायपास पर विचार करें, तो यह अधिक कारगर नजर आता है। इससे यातायात दबाव कम कर सकते हैं। शहर का विकास होगा। केन्द्रीय बस स्टैण्ड, आरटीओ ऑफिस, अनाज मण्डी के दूर जाने से न केवल शहर का विस्तार और विकास हुआ है, बल्कि रोजगार के साधन भी बढे़ हैं।