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साइबर क्राइम करने वालों की अब खैर नहीं… नकेल कसने के लिए सरकार ने बनाए ये 3 बड़े प्लान

Cyber ​​Crime: एक रिपोर्ट के मुताबिक, 85 प्रतिशत शिकायतें वित्तीय अपराधों से जुड़ी होती हैं। गृहमंत्रालय ने साइबर अपराध रोकने के लिए तीन खास पहल की है। पढ़िए नवनीत मिश्र की खास रिपोर्ट…

नई दिल्लीOct 20, 2024 / 09:45 am

Shaitan Prajapat

cyber fraud
Cyber ​​Crime: नागरिकों को आर्थिक चूना लगाने के साथ देश की सुरक्षा के लिए चुनौती बन रहे साइबर अपराधियों की धरपकड़ के लिए गृहमंत्रालय ने केंद्र और राज्यों की सभी एजेंसियों को एक प्लेटफॉर्म पर लाकर बड़े एक्शन की तैयारी की है। सरकार का मानना है कि साइबर सुरक्षा अब केवल डिजिटल दुनिया तक सीमित न रहकर राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी अहम पहलू भी बन गई है। ऐसे में राष्ट्रीय स्तर पर संदिग्ध अपराधियों का डेटा बनाकर साइबर अपराध रोकने की तैयारी की जा रही है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, 85 प्रतिशत शिकायतें वित्तीय अपराधों से जुड़ी होती हैं। गृहमंत्रालय ने साइबर अपराध रोकने के लिए तीन खास पहल की है। इसके तहत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर अपराध के तरीके पहचाने जा रहे हैं और संदिग्ध अपराधियों की कुंडली तैयार की जा रही है। विभिन्न राज्यों के बीच समन्वय बढ़ाया जा रहा है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ऐसे अपराध रोकने के लिए सामंजस्य बढ़ाने के तरीके खोजे जा रहे हैं।
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हाइटेक अपराध रोकने की नई पहल

1)) सीएफएमसीः एआई पहचान रही अपराध के तरीके

बैंक, वित्तीय संस्थान, टेलीकॉम कंपनी, इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर, पुलिस और राज्य की संबंधित एजेंसियों को एक ही मंच पर लाकर साइबर धोखाधड़ी न्यूनीकरण केंद्र (सीएफएमसी) की स्थापना हुई है। इसे साइबर अपराध रोकथाम का एक प्रमुख मंच बनाने की तैयारी है। यह केंद्र अलग-अलग डेटा का एआई के जरिए साइबर अपराधियों के काम करने के तरीकों (मॉडस ऑपरेंडी) की पहचान कर उनकी रोकथाम करेगा।

2)) सस्पेक्ट रजिस्ट्रीः 14 लाख संदिग्धों की बनी कुंडली

संदिग्ध अपराधियों का डेटा देश में हर राज्य के पास अलग-अलग होने से कार्रवाई में दिक्कत आती थी। क्योंकि, पुलिस की अपनी सीमा है लेकिन साइबर अपराधियों की कोई सीमा नहीं है। ऐसे में राष्ट्रीय स्तर पर एक ‘सस्पेक्ट रजिस्ट्री’ बनाकर राज्यों को इसके साथ जोड़कर साइबर अपराध से लड़ने के लिए एक साझा मंच तैयार करने की लंबे समय से उठती मांग अब जाकर पूरी हुई है। साइबर सस्पेक्ट रजिस्ट्री में 14 लाख संदिग्ध लोगों के मोबाइल नंबर, बैंक अकाउंट, सोशल मीडिया अकाउंट, यूपीआई का डेटा फिलहाल जोड़ा गया है। साइबर फ्रॉड की शिकायतों के आधार पर यह डेटा तैयार हुआ है।

3)) समन्वय प्लेटफॉर्म : पुलिस के लिए वन स्टॉप पोर्टल

यह प्लेटफॉर्म साइबर अपराधियों के खिलाफ मुहिम चलाएगा। यह केंद्र क्रिमिनल मैपिंग, डेटा विश्लेषण के साथ देशभर की सुरक्षा एजेंसियों के बीच समन्वय के लिए वन स्टॉप पोर्टल के रूप में कार्य करेगा।

ऑनलाइन लेन-देन बढ़ने के साथ बढ़ रहा अपराध

इंटरनेट सुविधा और ऑनलाइन पेमेंट बढ़ने के साथ ही ऑनलाइन फाइनेंशियल फ्रॉड की घटनाएं भी बढ़ रहीं हैं। देश में इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या 31 मार्च 2014 को 25 करोड़ थी, जो 31 मार्च 2024 को 95 करोड़ है। 35 करोड़ जनधन खाते और 36 करोड़ रुपे डेबिट कार्ड के साथ 2024 में 20 लाख 64 हजार करोड़ रुपए का लेनदेन डिजिटल माध्यम से हुआ है। भारत में विश्व का 46 फीसदी डिजिटल ट्रांजेक्शन हो रहा है। ऐसे में साइबर फ्रॉड से सुरक्षा की जरूरत भी बहुत अधिक बढ़ गई है।

एक साल में हजारों करोड़ के फ्रॉड

  • 2023 में देशभर में 7,488.6 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी सामने आई
  • 320,000 सिम कार्ड व 49,000 आइएमईआइ नंबरों को ब्लॉक किया
  • 7,000 प्रतिदिन औसतन साइबर अपराध शिकायतें हो रही हैं दर्ज
  • 85 फीसदी शिकायतें है वित्तीय ऑनलाइन धोखाधड़ी से संबंधित
बढ़ती जा रही हैं शिकायतें-
वर्ष- दर्ज मामले
2019 – 26,049
2020 -257,777
2021- 452,414
2022- 966,79
2023- 1,556,218
2024- 740,957 (अप्रैल तक)
साइबर फ्रॉड के तरीकेः फाइनेंशियल फ्रॉड, सेक्सटॉर्शन, निवेश फ्रॉड, डिजिटल अरेस्ट, गेमिंग ऐप फ्रॉड, ओटीपी फ्रॉड, लोन ऐप फ्रॉड।

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