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बीकानेर

बीकाणा के धोरों में खजूर की बहार

bikaner agro news: अनुसंधान केन्द्र की मदद का फायद, अनुकूल मौसमी परिस्थितियां भी रही सहायक

बीकानेरDec 13, 2020 / 02:49 pm

dinesh kumar swami

बीकाणा के धोरों में खजूर की बहार

बीकाणा के धोरों में खजूर की बहार

बीकानेर. बीकानेर में स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय में खजूर अनुसंधान केन्द्र पर ३१ प्रजातियों पर चल रहे शोध और मरुस्थलीय क्षेत्र में खजूर की खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्थापित किए गए फार्म से अन्य जिलों सके मुकाबले खजूर का उत्पादन बढ़ गया है। इसमें मुख्य रूप से बरही, खुनेजी व हलाकी प्रजाति के खजूर हैं। एक अन्य मेडजूल छुहारा बनाने में सबसे अच्छी है। यहां विकसित किए गए कम ऊंचाई के पेड़ों के खजूर छोटी गुठली के होते हैं। जबकि देसी खजूर के पेड़ ऊंचे होते हैं व उनकी गुठली मोटी होती है।
मरुस्थलीय क्षेत्र मुफीद

कृषि विश्वविद्यालय के सह आचार्य डॉ.राजेन्द्र सिंह राठौड़ ने बताया कि खजूर वहां पनपता है जहां पर नमी न हो। पानी इसे पूरा चाहिए लेकिन खारा-मीठा पानी का फर्क नहीं पड़ता। नमी वाले वातावरण में यह फंगस लगकर खराब हो जाता है। इसलिए अरब देशों में जहां खारा पानी भी उपलब्ध है तो वहां इसकी अच्छी खेती हो रही है। भारत में पश्चिमी राजस्थान के जिलों में जैसे, बीकानेर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ, जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर, नागौर में खेती हो रही है। वहीं चूरू, जालौर, पाली, झुझुनू व सिरोही में भी किसान थोड़ी बहुत इसकी खेती कर रहे हैं। डॉ.राठौड़ ने बताया कि खजूर के पेड़ों पर फरवरी-मार्च में फूल आते हैं। इन्हें पूरी गर्मी में पानी चाहिए होता है। मानसून के समय फल आ जाते हैं। अगर वर्षा देरी से हुई तो यह खजूर के लिए फायदेमंद है। नमी नहीं होने से यह खराब नहीं होते। साथ ही पेड़ पर ही पूरी तरह से पक जाते हैं। नहीं तो कच्चे फल जो पीले होते हैं उन्हें तोड़कर अलग से पकाना पड़ता है।
प्रदेश में इतनी हो रही खेती

कृषि विवि के आंकड़ों के अनुसार बीकानेर खजूर के रकबे में बीकानेर सबसे अव्वल है। उसके बाद श्रीगंगानगर फिर हनुमानगढ़ है। बीकानेर में २५० हैक्टेयर में किसान एवं ५० हैक्टेयर में सरकारी फार्म है। श्रीगंगानगर में १७० हैक्ट.,हनुमानगढ़ १३० हैक्ट., जैसलमेर १०० हैक्ट. इसमें पांच हैक्टेयर सरकारी फार्म है। बाड़मेर ८५ हैक्ट. नागौर ४० हैक्ट., जोधपुर ३७ हैक्ट., पाली २२ हैक्ट., जालौर ३० हैक्ट., चूरू २० हैक्ट, झूझुंनू १२ हैक्ट, व सिरोही में १३ हैक्टेयर में खजूर उत्पादन हो रहा है।
किसानों को बढ़ावा के प्रयास

डॉ. राठौड़ ने बताया कि राज्य में वर्ष २०११ से खजूर खेती या उद्यानिकी को बढ़ावा देने के प्रयास शुरू हुए थे। उस वक्त राज्य सरकार ने किसानों को ९० प्रतिशत सब्सिडी देनी शुरू की थी। बाद में यह कम हो गई। साथ ही सरकार ने एक निजी कंपनी से एमओयू कर टिश्यू कल्चर प्लांट तैयार कर उपलब्ध कराना शुरू किया था। बीकानेर में कृषि विश्वविद्यालय होने का फायदा मिला। यहां पर किसानों को इस खेती के बारे में सभी जानकारी जानकारी उपलब्ध कराई जाती है। उन्हें जहां तक संभव हो पौधे भी उपलब्ध कराए जाते हैं। इस कारण जिले में खजूर के प्रति रुझान बढा है।
खजूर सेवन के फायदे

आयुर्वेद के अनुसार खजूर, बलवर्धक, मधुर, श्रमहारक माना गया है। इसमें आयरन, प्रोटीन, विटामिन, कोर्बोहाइड्रेट और शर्करा होने से यह संपूर्ण आहार है। इसके सेवन से बाल एवं हड्डियां मजबूत होती हैं और तुरंत ताकत मिलती है।

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