एसपी मेडिकल कॉलेज से संबद्ध पीबीएम अस्पताल में ११ वरिष्ठ चिकित्सकों को विभागाध्यक्ष बनाया गया है। इस संबंध में चिकित्सा शिक्षा (गु्रप-1) विभाग, जयपुर की ओर से आदेश जारी किए गए हैं। आदेश में डॉ. कदीर फातिमा को पैथोलॉजी, डॉ. कांता भाटी को निश्चेतन, डॉ. बाबूलाल बैद को रेडियोथैरेपी एवं रेडियोलॉजिकल फिजिक्स, डॉ. अंजू कोचर को नेत्र रोग, डॉ. मोहम्मद सलीम को सर्जरी, डॉ. योगिता सोनी को बायोकेमिस्ट्री, डॉ. अंजली गुप्ता को माइक्रोबायोलॉजी, डॉ. रेणु सेठिया को कम्युनिटी मेडिसिन (पीएसएम), डॉ. लियाकत अली गौरी को मेडिसिन, डॉ. सुदेश अग्रवाल को प्रसूति एवं स्त्री रोग एवं डॉ. रेणु अग्रवाल को शिशु औषध का विभागाध्यक्ष बनाया गया है। विदित रहे कि पूर्व के विभागाध्यक्षों को नियमानुसार दो साल का कार्यकाल पूरा होने के कारण उनकी जगह अब स्थायी आचार्यों को विभागाध्यक्ष बनाया गया है।
दंत चिकित्सा के विभागाध्यक्ष डॉ. रंजन माथुर, डॉ. मोहन सिंह को एनाटॉमी, डॉ. बिजेन्द्र कुमार बिनावरा को फिजियोलॉजी बायोफिजिक्स, डॉ. दीपचंद ईएनटी, डॉ. बाबूलाल खजोटिया ऑर्थोपेडिक्स, डॉ. राजेश दत्त मेहता चर्म एवं रतिरोग, डॉ. गुंजन सोनी टीबी एंड चेस्ट, डॉ. रजनीश शर्मा फिजिकल मेडिसिन एंड रिहेबिलिटेशन (पीएमआर), डॉ. गुलजारीलाल मीणा रेडियो डायग्नोसिस, डॉ. देवराज आर्य इम्यूनोहिमेटोलॉजी एंड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन, डॉ. पिन्टू नाहटा कार्डियोलॉजी, डॉ. दिनेश सोढ़ी न्यूरो सर्जरी, डॉ. गिरीश प्रभाकर शिशु शल्य चिकित्सा, डॉ. मुकेश आर्य को यूरोलॉजी के विभागाध्यक्ष पद पर रहेंगे। यह चिकित्सक नियमित आचार्य उपलब्ध नहीं होने तक विभागाध्यक्ष बने रहेंगे।
जीव रसायन की विभागाध्यक्ष डॉ. योगिता सोनी को फार्माकॉलोजी, रेडियोथैरेपी विभागाध्यक्ष डॉ. बाबूलाल बैद को मेडिकल ऑंन्कोलॉजी, मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. लियाकत अली गौरी को जिरियाट्रिक, इमरजेंसी, न्यूरोलॉजी, नेफ्रोलॉजी, गेस्ट्रोएण्ट्रोलॉजी व मनोराग एवं सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. मोहम्मद सलीम को सर्जिकल ऑंकोलॉजी, सीटीवीएस, फोरेन्सिक मेडिसिन विभागाध्यक्ष का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है।
फार्माकोलॉजी विभाग में हालत बेहद खराब है। यहां के प्रोफेसर डॉ. आरपी आचार्य ने इस्तीफा दे दिया और चूरू में ज्वॉइन कर लिया। एसोसिएट प्रोफेसर का भी हाल ही में तबादला हो गया। ऐसे में वर्तमान में विभाग में केवल दो वरिष्ठ प्रदर्शक पदस्थापित हैं, जिसमें भी एक अर्जेंट टेम्परेरी बेस पर और दूसरा आरपीएससी से चयनित है। विडम्बना है कि विभाग को चलाने के लिए दूसरे विभाग के प्रोफेसर को विभागाध्यक्ष बनाना पड़ा है।