भाजपा ने इस सीट पर अवनि सिंह को टिकट दिया। तो वहीं सपा ने यहां से नईमूल हसन को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। वहीं अब चर्चा हैं कि सपा प्रत्याशी को बसपा, रालोद और कांग्रेस का भी समर्थन प्राप्त है क्योंकि इन पार्टियों ने अपना उम्मीदवार मैदान में नहीं उतारा है। जिसके चलते चर्चा हैं कि इस बार चुनाव में भाजपा प्रत्याशी और गठबंधन व सपा प्रत्याशी में कड़ी टक्कर देखने को मिलेगी।
2017 में भी लड़े थे चुनाव बता दें कि इसी सीट से नईमूल हसन 2017 में चुनाव लड़े थे और वह 12000 हजार वोटों से हार गए थे। लेकिन अखलेश के करीबी बताये जाने वाले नईमूल हसन पर पार्टी ने विश्वास जताते हुए एक बार फिर से इस उपचुनाव में दांव लगाया है।
कॉलेज चुनाव से की शुरुआत नईमूल हसन ने 2000 से जामिया मिलिया इस्लामिया दिल्ली विद्यायल से राजनीति की शुरुवात करते हुए
छात्र संघ चुनाव में प्रेसिडेंट पद पर रहे। छात्र राजनीति के साथ साथ इन्होंने 2012 में नूरपुर सीट से सपा पार्टी से विधानसभा चुनाव में ताल ठोकी लेकिन इस चुनाव में उनको हार मिली। 2017 में एक बार फिर से इन्होंने इसी सीट पर विधानसभा चुनाव में हार का सामना किया। बीजेपी दिवंगत विधायक लोकेंद्र चौहान ने इन्हें 12000 वोट से हराया था।
यह भी देखें : योगी की मंत्री ने दलितों को लेकर दिया ऐसा बयान कि मच गया हड़कंप भाजपा ने इनको दिया टिकट इस सीट पर 2012 और 2017 में बीजेपी विधायक लोकेंद्र चौहान का कब्ज़ा रहा है। इस सीट पर बीजेपी से मृतक विधायक की पत्नी अवनि सिंह इस गठबंधन प्रत्यशी को टक्कर देंगी। सपा सरकार 2012 -2017 में नईमूल हसन को श्रम विभाग में राज्य दर्जा प्राप्त मंत्री से भी सपा सरकार में नवाज़ा गया था। नईमूल ने बताया कि विकास और अन्य मुद्दों को लेकर वो वोटर के बीच जाएंगे और इस उपचुनाव में जीत दर्ज करेंगे।