साकेन्द्र की जीत पर इस गुट में खुशी की लहर दौड़ गई। जबकि विपक्षी दल के प्रत्याशी के दल में मायूसी देखने को मिली। जिला प्रशासन और पुलिस की मौजूदगी में इस चुनाव को शांति पूर्वक सम्पन्न कराया गया। इस चुनाव को लेकर जिला प्रशासन ने शहर के कई चौराहों पर पुलिस व्यवस्था के साथ साथ सीसीटीवी कैमरे लगाकर इस चुनाव की सारी गतिविधियों पर नज़र बनाई रखी। इस उप चुनाव में 56 जिला पंचायत सदस्यों में कुल 53 जिला पंचायत सदस्यों ने अपने मतदान का प्रयोग किया। इस जीत को लेकर साकेन्द्र चौधरी ने जीत जाहिर करते हुए कहा कि ये सच्चाई की जीत है। भ्रष्ट लोगों से परेशान होकर मुझे 49 वोट मिले है। मोनिका केवल 4 वोट ही इस उपचुनाव में मिले हैं।
हम आपको बता दे कि जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए 12 मार्च को नामांकन किये गए थे। सबसे पहले नामांकन निर्दलीय साकेन्द्र प्रताप ने कराया था। उसके बाद मोनिका सिंह ने भी निर्दलीय नामांकन कराया था। मोनिका पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष रहे उदयनवीरा के साथ नामांकन कराने पहुंची थी। उधर ये बात साकेन्द्र गुट के समर्थकों को अच्छी नहीं लगी और साकेन्द्र समर्थकों ने उदयनवीरा के समर्थक छत्रपाल सेक्रेटरी के साथ मारपीट की थी। लेकिन उसी दिन कुछ ही समय के बाद मोनिका ने प्रेस वार्ता कर अपहरण की सूचना को गलत बता दिया और अपने अपहरण की बात को झुठला दिया।
साथ ही इस उप चुनाव को लेकर मोनिका ने 12 मार्च को बयान दिया था कि वो साकेन्द्र के पक्ष में रहेगी और 15 मार्च को अपना नाम वापसी ले लेगी। लेकिन मोनिका ने 15 मार्च को नाम वापस न लेकर इस उपचुनाव में गर्माहट ला दी थी। बहरहाल इस चुनाव के नतीजे आने के बाद ये नतीजे चौंकाने वाले साबित हुए। साकेन्द्र को इस चुनाव में 49 जिला पंचायत सदस्यों ने वोट देकर जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठा दिया है। इस चुनाव के नतीजे आने के बाद अब जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी को लेकर चली आ रही राजनीति पर विराम लग गया है।