गरीबी और बेबसी से परेशान तंगहाली की ज़िन्दगी जी रहे ये है छुट्ट्न मियां का परिवार। उनका परिवार बिजनौर के बढ़ापुर पक्का तालाब में छोटे से टूटे फूटे मकान पर रहने को मजबूर है। रोज़ी-रोटी का इंतजाम नहीं होने और घर की आर्थिक हालत खराब होने की वजह से वह मज़दूरी कर अपने और बच्चों का सही से पेट भी नहीं भर पाता। परिवार में पति-पत्नी के अलावा पांच बच्चे हैं। तीन दिन पहले छुट्ट्न की बीवी ने एक और यानी छटवें बच्चे को जन्म दिया था। लेकिन मुफलिसी के मारे पिता ने बच्चे को किसी रिश्तेदारी में दे दिया। ताकि उसकी परवरिश सही से हो जाए । क्षेत्र में ये भी चर्चा है की गरीब परिवार ने नवजात बच्चे को एक लाख रुपए में बेचा है।
हालाँकि, पिता बदनामी की डर की वजह से बेचने की बात तो नहीं क़बूल रहा है, लेकिन इतना ज़रूर बया कर रहा है किगरीबी की वजह से बच्चे को न पालने की वजह से बच्चे को रिश्तेदारी में दिया है । वहीं छुट्ट्न के मुताबिक अभी तक जिला प्रशासन और सरकार का कोई भी नुमाइंदा उनकी किसी तरह की मदद के लिए नहीं आया है। बहरहाल महंगाई के इस दौर में छुट्टन ने मुफलिसी से तंग आकर अपने नवजात बच्चे को मज़बूरी में रिश्तेदारों को भले ही दे दिया हो, लेकिन उसकी आंखों में बेबसी और गरीबी उसके चेहरे पर साफ तौर से देखी जा सकती है ।
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इस मामले में जब नगीना सीओ प्रवीण कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि बच्चा बेचने के मामले में थाने के द्वारा जांच कराई गई थी। इस दौरान बच्चे के पिता ने अपनी मर्जी से बच्चे को अपने रिश्तेदार को देने की बात कही है। उन्होंने कहा कि इस प्रकरण में जांच अभी जारी है। जल्द ही इसकी रिपोर्ट अपने उच्च अधिकारियों को भेज दी जाएगी। इस मामले में बड़ा सवाल ये है कि आखिर कोई अपने बच्चे के साग-सब्जियों की तरह कैसे किसी को दे सकता है। अदिकारियों की मान भी लें कि माता-पिता ने अगर स्वेच्छा से भी बच्चे को दिया है तो बच्चा गोद देने का रजिस्ट्रेशन (गोदनामा) तो होना चाहिए।