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हारकर भी मुस्कुराएं और चुनौतियों से ना घबराएं, बुरे वक्त से कहें- ‘आओ हम तैयार हैं’

वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे : लक्ष्य से चूके तो जिंदगी से न हारें, चुनौतियों से कहें- ‘आओ हम तैयार हैं’

भोपालSep 09, 2019 / 04:41 pm

Faiz

world suiside prevention day

हारकर भी मुस्कुराएं और चुनौतियों से ना घबराएं, बुरे वक्त से कहें- ‘आओ हम तैयार हैं’

भोपाल/ जीवन में निराशा और असंतोष का भाव आना स्वाभाविक सी बात है। जब कोई रास्ता नहीं दिखता तो विफलता, बेरोजगारी, गरीबी, भेदभाव से अवसाद की स्थिति बनती है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति अपना जीवन समाप्त करने के बारे में सोच लेता है। इसमें मानसिक रोगों की भी भूमिका होती है। हालांकि, ऐसे कई लक्षण होते हैं जिनकी समय पर पहचान की जाए, साथ ही उनकी काउंसलिंग की जाए तो ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता है।

 

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आत्महत्या का प्रमुख कारण

लाइलाज बीमारियों, दांपत्य जीवन में मुश्किलों, प्रेम प्रसंग, परीक्षा व व्यवसाय में फेल होने जैसी स्थितियां आत्महत्या की वजह बनती हैं। कई बार अवास्तविक लक्ष्यों की विफलता भी घातक हो जाती है। विफलता का सामना करने, परिजनों की उम्मीद पर खरा न उतरने से युवा अपनी जीवन लीला समप्त करने का कदम उठा लेते हैं। इनमें एक प्रमुख कारण नशा भी है।

 

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आत्मघाती कदम उठाने वाला व्यक्ति एकांत में रहने लगता है। बेपरवाह, उदास रहता है। छोटी बात पर झुंझलाना, निराशापूर्ण बातें, काम में अरुचि, कीमती सामान किसी को भी देने लगता है। यदि वह ऐसी बातें करे कि- मैं घर-परिवार के किसी काम का नहीं हूं, मेरी जिन्दगी में अंधेरा दिख रहा है, ऐसा लगता है कि मेरी जिम्मेदारियां पूरी हो गयी हैं, अब और जीने से क्या फायदा? मेरे रहने न रहने से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता है। झिझकें नहीं, खुलकर बात करें और मनोचिकित्सक को दिखाएं।

 

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… तो आशंका ज्यादा

परिवार के इतिहास में यदि किसी ने आत्महत्या की हो तो भी ये आशंका कई गुना बढ़ जाती है। स्त्रियों में आत्महत्या की प्रवृत्ति ज्यादा होती है लेकिन पुरुष अधिक आत्मघाती तरीकों को अपनाते हैं। इस कारण उनमें मौत की आशंका ज्यादा होती है। युवा और वृद्धावस्था में इसका खतरा काफी ज्यादा होता है।

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