जरूरत है कि शहरों की सड़कें नगरीय प्रशासन, वहीं गांव की ग्रामीण विकास व बाकी पीडब्ल्यूडी के पास हो। सीपीए के पास लोनिवि के मुकाबले तकनीकी स्टॉफ तक नहीं है। ऐसे में उसे बड़ी जिम्मेदारी क्यों दी जाए। हकीकत ये है कि हल्की बारिश ने ही सड़कों पर ठेकेदारों से गठजोड़ के गड्ढे उजागर कर दिए हैं।
भोपाल जिले के प्रभारी मंत्री रहते हुए गोपाल भार्गव ने कहा कि भोपाल में हर सड़क पर बोर्ड लगाया जाए कि कौन सी सड़क किस विभाग के तहत है, किस ठेकेदार ने बनाई है और कितने की बनी है। लेकिन, इस पर अमल रस्म-अदायगी रहा। वल्लभ-भवन की सड़क के विभाग के बारे में जानने के लिए ही मंत्री को अफसरों को बुलाना पड़ गया। इसके बाद अब यह मामला तूल पकड़ रहा है कि सभी सड़कों का संचालन एक ही कंट्रेलिंग एजेंसी के माध्यम से क्यों नहीं हो। पूर्व में इसका प्रस्ताव कई मंत्री दे चुके हैं।
दरअसल, सड़कों के गड्ढे अफसर-नेता और ठेकेदारों के गठजोड़ से उभरे हैं। सड़कों के निर्माण में जब-तब भारी भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हंै, लेकिन इन्हें अनदेखा किया जाता रहा है। राजधानी की सड़कें ही बेहद खराब हाल में हैं। हाल ही में कांग्रेस नेता अरुण यादव ने भोपाल टॉकीज के समीप का भोपाल की सड़क का गड्ढों भरा फोटो ट्वीट किया था, जिसके बाद उस सड़क की मरम्मत की गई। ऐसी अनेक सड़कें हैं।
वल्लभ भवन के सामने वाली सड़क का हमने पता कराया था, वह हमारे विभाग में नहीं आती है। वह सीपीए के तहत हंै। लोक निर्माण विभाग की सड़कें ज्यादा खराब नहीं है। जहां बारिश से नुकसान हुआ है, वहां मरम्मत का काम चल रहा है। हम हर सड़क की जानकारी भी एकत्र कर रहे हैं।
गोपाल भार्गव, मंत्री, लोक निर्माण विभाग