MP के टॉप 3 टाइगर सफारी पार्क, जंगल की सैर का ऐसा मजा कहीं और नहीं, कैसे कराएं बुकिंग
Best Tiger Safari Park MP: सर्दियों में घने-गहरे जंगलों की खूबसूरत अलसाई सुबह, पक्षियों की आवाजों के बीच सुनाई देने वाली दहाड़ती आवाज… अहसास करा देती है हां आप बेहतरीन वाइल्ड लाइफ की सैर पर हैं, अगर आप भी कर रहे हैं टाइगर सफारी की तैयारी तो पहले पढ़ लें ये खबर…
सर्दियों के इन दिनों में घने-गहरे जंगलों की खूबसूरत अलसाई सुबह, पक्षियों की आवाजों के बीच सुनाई देने वाली दहाड़ती आवाज… अहसास करा देती है.. हां आप बेहतरीन वाइल्ड लाइफ की सैर पर आए हैं, जहां टाइगर देखने आपका इंतजार लंबा हो सकता है, लेकिन यकीन मानिए खत्म जरूर हो जाएगा…
और खुशनसीब हैं, तो पूरी टाइगर फैमिली देखकर आप इतने खुश हो जाएंगे कि उम्रभर इन रोमांचक पलों को नहीं भूलेंगे। वाइल्ड लाइफ का ये रोमांच, ये एक्साइटमेंट आपको कहीं और नहीं, टाइगर स्टेट एमपी के नेशनल पार्क और टाइगर रिजर्व में ही आसानी से मिल सकता है।
मानसून में बंद हो गई थी कोर एरिया में एंट्री
1 जुलाई से 30 सितंबर तक मानसून सीजन में वन्य जीवों में मैटिंग काल का समय रहता है। इस दौरान वे खतरनाक और हिंसक भी हो सकते हैं। इसके साथ ही बारिश से नदी नालों झरनों से वन पथ खराब होने की भी आशंका रहती है, ऐसे में किसी भी तरह की अनहोनी या अप्रिय घटना से बचने के लिए 3 महीने के लिए सफारी और कोर एरिया में राष्ट्रीय उद्यान, अभयारण्य और टाइगर रिजर्व में प्रवेश पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया जाता है। लेकिन अक्टूबर में ये फिर से आम जन के लिए शुरू कर दिए जाते हैं। सर्दियों के सीजन में वाइल्डलाइफ का अट्रेक्शन और क्रेज दोनों बढ़ जाते हैं। इन दिनों एमपी के ज्यादातर नेशनल पार्क और टाइगर रिजर्व फुल हैं, वाइल्ड लाइफ लवर्स अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं।
क्या आप जानना चाहते हैं MP के टॉप 3 टाइगर सफारी पार्क कौन से हैं?
वाइल्ड लाइफ लवर्स ने 1 अक्टूबर से ही यहां पहुंचना शुरू कर दिया। इन दिनों तो बुकिंग फुल हैं, नए साल में जनवरी के बाद ही आप यहां पहुंच सकेंगे। यहां टाइगर सफारी के लिए एडवांस बुकिंग जारी है। लेकिन वाइल्ड लाइफ को करीब से जानने के लिए उत्साहित टूरिस्ट बुकिंग करने से पहले सबसे पहला सवाल यही करते हैं…
मध्य प्रदेश में टाइगर सफारी के लिए सबसे बेस्ट नेशनल पार्क या टाइगर रिजर्व कौन से हैं? या फिर एमपी के टॉप 3 टाइगर सफारी पार्क कौन से हैं?
अगर आपका भी यही सवाल है तो Patrika.com पर जानें जवाब, साथ ही वो सबकुछ जो आप जानना चाहते हैं…
टाइगर सफारी के लिए ये रहती है व्यवस्था
सुबह 11 बजे से शुरू हो जाती है टाइगर सफारी के लिए बुकिंग।
सफारी के लिए वाहन और गाइड का शुल्क अलग से पे करना होता है।
सफारी के लिए की गई ऑनलाइन बुकिंग परमिट में शामिल नहीं होती वाहन और गाइड की राशि
टाइगर सफारी बुकिंग कैंसिल कराने एक दिन पहले देनी होती है जानकारी।
कैंसिलेशन पर वाहन के 100 रुपए और प्रति व्यक्ति 20 रुपए के हिसाब से कैंसिलेशन चार्ज चुकाना होता है।
वाहन ना मिल पाने की कंडिशन में पार्क प्रबंधन निजी वाहन की एंट्री की भी परमिशन देता है।
कान्हा नेशनल पार्क
कान्हा, किसली, मुक्की और सरही कोर जोन है। 4 अक्टूबर तक के लिए ये सभी फुल हैं। टाइगर के साथ यहां पर हार्ड ग्राउंड बारहसिंघा (दलदल का मृग) भी मिलते हैं। यह पार्क जबलपुर से 165 किमी दूर है। इसलिए हवाई, रेल और सड़क तीनों में से आप किसी भी जरिए से यहां पहुंच सकते हैं।
कान्हा नेशनल पार्क मुख्य रूप से दो क्षेत्रों में विभाजित है, कोर जोन और बफर जोन। कोर जोन को पश्चिम में किसली, मुक्की, सरही और कान्हा नामक छह क्षेत्रों में विभाजित किया गया है, जबकि पूर्व में भैसणघाट और सुपखर जोन हैं। इन जोन के किसी भी हिस्से में शानदार वाइल्ड एनिमल्स को उनके नेचुरल घरों में आजादी से घूमते देखा जा सकता है।
क्यों सबसे बेस्ट है कान्हा नेशनल पार्क
कान्हा नेशनल पार्क में आपको चौंका देने वाले नजारे देखने का मौका मिल जाते हैं। इसके साथ ही यहां वन्य जीवों की विविधता भी है। इनमें कई लुप्तप्राय दुर्लभ जंगली जानवर देखकर भी वाइल्ड लाइफ का मजा आ जाता है। यहां 800 से ज्यादा पौधे, 320 पक्षी, 50 जलीय जानवर, 26 सरीसृप और 43 स्तनपायी प्रजातियां पाई जाती हैं।
बंगाल टाइगर और बारासिंघा, भौंकने वाले हिरण करते हैं अट्रैक्ट
कान्हा नेशनल पार्क में बंगाल टाइगर और बारासिंघा तो आपको अट्रैक्ट करते ही हैं, इनके साथ ही सुस्त भालू और तेंदुए और जंगली कुत्तों जैसे शिकारी जानवरों की भी संख्या यहां कम नहीं है। पार्क के चारों ओर बिखरे हुए जल निकाय वन्यजीव मुठभेड़ों के हॉटस्पॉट हैं।
चीतल, सांभर, काला हिरण, भौंकने वाला हिरण, चौसिंघा, गौर, लंगूर, जंगली सूअर, सियार जैसे जानवर नियमित रूप से अपनी प्यास बुझाने के लिए पानी के तालाबों का रुख करते हैं। कान्हा नेशनल पार्क के घने जंगलों में जंगल सफारी के दौरान इन जानवरों से मुलाकात बेहद आम है। तभी तो टाइगर सफारी के लिए सबसे बेस्ट है एमपी का कान्हा नेशनल पार्क और टाइगर रिजर्व।
यहां ताला, मगधी और खितौली कोर जोन है। यहां भी फुल व्हीकल घूमने के लिए सभी सीटें फुल हो चुकी हैं। बता दें कि मध्य प्रदेश के जंगलों में बांधवगढ़ ही ऐसा एरिया है जहां जंगली हाथी नजर आते हैं। यहां करीब 50 हाथी हैं। 100 से ज्यादा वयस्क बाघ हैं।
कैसे पहुंचें: खजुराहो और जबलपुर में हवाई अड्डे हैं। उमरिया, कटनी, शहडोल और जबलपुर तक ट्रेन, बस या निजी वाहन से आप यहां पहुंच सकते हैं। उमरिया से यह 26 किमी की दूरी पर है।
साल के घने जंगलों, घास के मैदानों, बांस के पेड़ों से आच्छादित और चट्टानी पहाड़ियों से घिरा है बांधवगढ़ नेशनल पार्क तथा टाइगर रिजर्व। पार्क के बीचोंबीच स्थित बांधवगढ़ किला है, जिसे बांधवगढ़ पहाड़ी नामक एक मेसा पर बनाया गया था। इसकी ऊंचाई लगभग 800 मीटर है। पार्क के चारों ओर कई छोटी पहाड़ियां हैं, जो छोटी घाटियां बनाती हैं। निचली घाटियों में नजर आने वाला पूरा क्षेत्र साल का जंगल है, जबकि पहाड़ियां मिश्रित पेड़-पौधों से हरी-भरी बनी हुई हैं। स्थानीय लोग कहते हैं कि ये किला भगवान राम ने अपने भाई लक्ष्मण को उपहार में दिया था। तब से इसका नाम बांधवगढ़ यानी भाई का किला पड़ा।
क्यों मशहूर है बांधवगढ़ नेशनल पार्क
राज्य वन सेवा के अधिकारी सेवाराम मलिक (रिटायर्ड) बताते हैं कि बांधवगढ़ नेशनल पार्क में वाइल्ड लाइफ लवर्स दुर्लभ और बेहतरीन शिकारी बंगाल टाइगर्स का दीदार करने आते हैं। बंगाल टाइगर के लिए मशहूर बांधवगढ़ नेशनल पार्क तथा टाइगर रिजर्व में विभिन्न प्रजातियों के वन्यजीवों की भरमार है।
यहां जंगली सूअर, चौसिंघा, भौंकने वाला हिरण, चित्तीदार हिरण, नीलगाय, भारतीय सिवेट, ताड़ गिलहरी जैसे कई स्तनधारी वन्यजीव शामिल हैं। बांधवगढ़ में तेंदुओं की भी अच्छी आबादी है। वहीं ये अपने 5 स्पेशल बाघों के लिए जाना जाता है। यहां दो फीमेल टाइगर स्पॉटी, डोट्टी के साथ ही तीन मेल टाइगर काजरी, सोलो और छोटा भीम वाइल्ड लाइफ लवर्स के खास अट्रेक्शन होते हैं।
बांधवगढ़ में पक्षियों की 250 से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें भारतीय पिट्टा, पैराडाइज फ्लाईकैचर, क्रेस्टेड सर्पेंट ईगल, लॉन्ग-बिल्ड, मिस्री और हिमालयी ग्रिफ़ॉन वल्चर, मालाबार पाइड हॉर्नबिल, किंगफिशर और इंडियन रोलर्स जैसे पक्षी शामिल हैं। इसके अलावा बांधवगढ़ नेशनल पार्क के जल निकायों के आसपास के क्षेत्र कोबरा, वाइपर, अजगर, कछुए और छिपकलियों की कई सरीसृप प्रजातियों के घर हैं।
जंगल और इंसानों के बीच सामंजस्य का एक खूबसूरत सा अहसास देने वाले बांधवगढ़ के घने गहरे जंगलों में हरी-भरी झाड़ियों में छिपकर बैठे या खड़े, दौड़ते नजर आने वाले वन्य जीव आपकी सैर का रोमांच दोगुना कर देते हैं। यहां आकर वाइल्ड लाइफ लवर्स ही नहीं बल्कि टूरिस्ट के चेहरे भी खिल जाते हैं।
जमतारा, करमझिरी और तोहरिया कोर जोन में है। ये 3 अक्टूबर तक फुल हो चुका है। ‘जंगल बुक’ के किरदार बघीरा यानी, ब्लैक पैंथर भी दिखाई देते हैं। 60 से अधिक बाघ यहां मौजूद है।
कैसे पहुंचे: मध्यप्रदेश के सिवनी, बालाघाट के साथ महाराष्ट्र के जिलों में भी पेंच का दायरा है। जबलपुर और नागपुर तक फ्लाइट से पहुंच सकते हैं। पेंच नदी के नाम पर पेंच राष्ट्रीय उद्यान का नाम रखा गया है। यह नदी इसके ठीक बीच से बहती है। पेंच राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश की दक्षिणी सीमा पर बसा है। वहीं इसक वन क्षेत्र का एक हिस्सा पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र में भी आता है। पेंच राष्ट्रीय उद्यान दो भागों में बंटा है। एक इंदिरा प्रियदर्शिनी राष्ट्रीय उद्यान और दूसरा मोगली-पेंच अभयारण्य। इस नेशनल पार्क को पहली बार 1977 में अभयारण्य और 1992 में इसे टाइगर रिजर्व घोषित कर दिया गया था।
क्यों मशहूर है पेंच नेशनल पार्क
पेंच राष्ट्रीय उद्यान लगभग 750 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसमें 300 वर्ग किलोमीटर का मुख्य क्षेत्र और 400 वर्ग किलोमीटर का बफर क्षेत्र शामिल है। पेंच के घने जंगल में जंगल सफारी खुले घास के मैदानों में होती है। हिरण जैसे कई जानवरों के समूह, ऊंची-ऊंची झाड़ियां पेंच नेशनल पार्क को बेहद आकर्षक बना देती हैं। बंगाल टाइगर्स के अलावा, पेंच नेशनल पार्क में भारतीय तेंदुए, गौर, चीतल, सांभर हिरण, जंगली बिल्लियां, सुस्त भालू, चार सींग वाले हिरण और कई अन्य विदेशी प्रजातियों के जानवरों का खूबसूरत घर है।
यहां पक्षियों की लगभग 300 प्रजातियां हैं, इनमें निवासी और प्रवासी पक्षी जैसे कि व्हाइट-आइड बजर्ड, मालाबार पाइड हॉर्नबिल, इंडियन पिट्टा, ऑस्प्रे, ग्रे-हेडेड फिशिंग ईगल, सारस क्रेन, मोर, रेड वेंटेड बुलबुल, क्रो तीतर, क्रिमसन-ब्रेस्टेड बारबेट, रेड जंगल फाउल आदि शामिल हैं।
खूबसूरती ऐसी कि छप गई ‘द जंगल बुक’
पेंच नेशनल पार्क और इसके वन्यजीवों का जिक्र मुगल दस्तावेजों में भी हुआ है। इसके अलावा अन्य प्राचीन साहित्यिक ग्रंथों में भी इसका उल्लेख मिलता है। लेकिन अंग्रेजी उपन्यासकार रुडयार्ड किपलिंग ने अपनी क्लासिक कृति, द जंगल बुक से दुनिया का ध्यान पेंच की ओर खींचा। पेंच के जंगल की खूबसूरती ने उन्हें इस जंगल से अपनी कहानियां और किरदार रचने के लिए प्रेरित कर दिया था।
टाइगर सफारी की बुकिंग करने वाले टूरिस्ट के सामने ये बड़ी उलझन भी होती है कि उनके सामने सफारी के कई ऑप्शन हैं, किसे चुनें और कई बार टूरिस्ट बड़ी गलती कर देते हैं कि वे बुकिंग फीस को देखते हुए टाइगर सफारी का ऑप्शन चुनते हैं… अगर आप भी टाइगर सफारी को लेकर होते हैं कन्फ्यूज तो यहां दूर करें कन्फ्यूजन…
टाइगर सफारी के लिए आपके पास हैं ये ऑप्शन
टाइगर रिजर्व या नेशनल पार्क में बुकिंग के लिए आपके पास दो ऑप्शन होते हैं, कोर जोन सफारी या बफर जोन, कई बार टूरिस्ट कंफ्यूज होते हैं कि आखिर कौन सा ऑप्शन उनके लिए बेस्ट रहेगा? क्योंकि उन्हें इनमें अंतर ही पता नहीं होता। इन जोन में भी सफारी के लिए आपके पास कई ऑप्शन होते हैं…
कोर जोन सफारी
बता दें कि कोर जोन किसी भी वन क्षेत्र का वो एरिया होता है, जिसे केंद्रीय वन के रूप में जाना जाता है। इसकी सीमाएं केवल बफर जोन से मिलती हैं। इसकी सीमाएं वन क्षेत्र के बाहरी एरिया से नहीं जुड़तीं। ऐसे में इसे एक वाइल्ड लाइफ के लिए सुरक्षित एरिया माना जाता है।
बफर जोन सफारी
जबकि बफर जोन सफारी का मतलब है कि आप जंगल के ऐसे एरिया में सैर कर रहे हैं, जिसकी सीमाएं वन क्षेत्र के आंतरिक जोन कोर जोन से भी लगती हैं और बाहरी दुनिया के साथ भी जुड़ी होती हैं।
शेयरिंग सफारी
कोर सफारी जोन में, मध्य प्रदेश वन विभाग का पार्क प्रबंधन, सफारी के शेयरिंग और नॉन-शेयरिंग दोनों मोड प्रदान करता है। जबकि बफर जोन में, टूरिस्ट को सफारी का केवल नॉन-शेयरिंग मोड ही मिलेगा।
कैंटर सफारी
मध्य प्रदेश के कुछ नेशनल पार्क में कोर जोन में कैंटर सफारी का विकल्प भी दिया गया है। लेकिन ये कुछ विशेष टूरिस्ट के लिए ही उपलब्ध होता है। इसलिए पेंच नेशनल पार्क, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व, कान्हा नेशनल पार्क जैसे सबसे लोकप्रिय नेशनल पार्क या टाइगर रिजर्व के लिए ही उपलब्ध है। जबकि मध्य प्रदेश के किसी भी नेशनल पार्क के बफर जोन में कैंटर सफारी का ऑप्शन नहीं है।
नाइट सफारी
नाइट सफारी या देर शाम की सफारी का ऑप्शन भी बफर जोन में उपलब्ध है। लेकिन कोर जोन में नाइट सफारी नहीं कर सकते।
ग्रामीणों को देखकर हैरान रह जाते हैं टूरिस्ट
जंगल सफारी के समय यहां मवेशियों को चराते ग्रामीणों को देखकर टूरिस्ट हैरान रह जाते हैं कि वे कैसे जंगल के इलाके में घुस आए, क्या उन्हें खतरनाक जंगली जानवरों से खतरा नहीं लगता?
दरअसल कोर जोन गांव और होटल मुक्त वन क्षेत्र हैं, लेकिन बफर जोन वन क्षेत्र में नियमानुसार गांवों और रिसॉर्ट्स की उपस्थिति सामान्य है। इस प्रकार कोर जोन सफारी के दौरान, हमें मवेशी या इंसान नहीं दिख सकते और जहां नजर आ जाएं तो समझ जाएं कि अभी आप बफर जोन से गुजर रहे हैं।