script5 से 12 साल के बच्चों के पैरेंट्स हो जाएं सावधान, खुद से न दें कोई भी दवा | Viral fever: Children between 5 and 12 years of age are suffering from viral fever | Patrika News
भोपाल

5 से 12 साल के बच्चों के पैरेंट्स हो जाएं सावधान, खुद से न दें कोई भी दवा

Viral fever: बुखार आने के कई कारण हो सकते हैं। ऐसे में खुद से सिर्फ पेरासीटामॉल खाने से आराम नहीं मिलेगा….

भोपालSep 20, 2024 / 05:25 pm

Astha Awasthi

Viral fever

Viral fever

Viral fever: भोपाल में इन दिनों वायरल फीवर, डेंगू, चिकनगुनिया, टाइफाइड व स्क्रब टायफस जैसी मौसमी बीमारियों के मरीज रोजाना अस्पताल पहुंच रहे हैं। 5 साल से 12 साल तक के बच्चों पर वायरल खतरा ज्यादा है। ऐसे में चिकित्सक साफ सफाई का विशेष ध्यान रखने की बात कह रहे हैं।

20 फीसदी मरीज मौसमी बीमारियों के

जेपी और हमीदिया अस्पताल में बुधवार को ओपीडी में आए कुल मरीजों में 20 फीसदी से अधिक मौसमी बीमारियों से ग्रसित थे। शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. पीयूष पंचरतन के अनुसार वायरल रोगों का सबसे ज्यादा खतरा 5 से 12 साल तक के बच्चों को होता है।
ओपीडी में आने वाले कुल बच्चों में से 10 फीसदी ऐसे होते हैं, जिन्हें भर्ती करने की जरूरत पड़ रही है। परिजनों को ध्यान रखना चाहिए यदि बच्चों को बुखार है तो चिकित्सक से संपर्क करें। इंफेक्शन बढ़ने से बच्चे के लिए परेशानियां बढ़ जाती हैं।
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बाहर के खाने से परहेज जरूरी

सिविल सर्जन डॉ. राकेश श्रीवास्तव के अनुसार वायरल और बैक्टिरिया से होने वाले रोग कहीं से भी हो सकते हैं। इसलिए बाहर निकलते समय इन दिनों मास्क का प्रयोग जरूर करना चाहिए। इसके अलावा टाइफाइड मुख्य रूप से दूषित पानी और खान पान से होता है।

बुखार होने पर सिर्फ सिर पर रखें पट्टी

विशेषज्ञों के अनुसार तेज बुखार होने पर सिर्फ सिर पर गीली पट्टी रखनी चाहिए। कई ऐसे मामले सामने आए जिसमें हल्के बुखार में लोगों ने नहाने को बेहतर विकल्प समझ लिया, जिससे उलटा नुकसान हो गया। सिर ठंडा बना रहे इसलिए पट्टी रखने की सलाह दी जाती है। इससे बुखार कम नहीं होता है।

डेंगू के सामने आए तीन नए मरीज

विभाग से मिली जानकारी के अनुसार बुधवार को शहर में 4 नए डेंगू के मामले सामने आए। जिसमें दो कोलार, एक होशंगाबाद रोड और एक साकेत नगर से होने की बात अधिकारियों द्वारा कही जा रही है।

खुद से दवा ना खाएं

इन दिनों बुखार आने के कई कारण हो सकते हैं। ऐसे में खुद से सिर्फ पेरासीटामॉल खाने से आराम नहीं मिलेगा। डॉ. श्रीवास्तव ने कहा कि पेरासीटामॉल तेज बुखार होने और डॉक्टर से दूरी होने पर इमरजेंसी में ही लेनी चाहिए। इसके बाद जितना जल्दी हो चिकित्सक से परामर्श करना और जांच कराना जरूरी है। जिससे बुखार की वजह साफ हो और उस हिसाब से इलाज मिल सके।

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