भोपाल। मध्य प्रदेश में बेरोजगारी, पारिवारिक परेशानियों, दिमागी बीमारियों के कारण आत्महत्या करने वालों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। हाल ही में स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (SCRB) की ओर से जारी आत्महत्या का यह ग्राफ आपको भी हैरान कर देगा। प्रदेश में हर साल 10,000 से ज्यादा लोग खुदकुशी कर रहे हैं।
सरकार की आंखें खोल देंगे ये FACT
* वर्ष 2014 में प्रदेश में आत्महत्या के 124 मामले सामने आए। आत्महत्या करने वाले इन 124 मामलों में सभी मामले बेरोजगारी से जूझ रहे लोगों के थे।
* 2015 में यह आंकड़ा 300 गुना से भी ज्यादा का आंकड़ा पार करते हुए 455 पर आ पहुंचा। जो 2014 के मुकाबले 366 फीसदी ज्यादा है।
* 579 मामलों में से 306 सतना जिले के दर्ज किए गए।
* जबकि भोपाल में 185 मामले सामने आए।
* छतरपुर में आत्महत्या के 22 मामले सामने आए।
* श्रम मंत्रालय की ओर से किए गए सर्वे के मुताबिक मध्यप्रदेश में 15 साल से ज्यादा उम्र के 1000 लोगों में से 29 लोग बेरोजगारी के कारण आत्महत्या कर रहे हैं।
* मंत्रालय के इस आंकड़े के बाद मध्यप्रदेश देश के उन टॉप 5 राज्यों में पांचवे स्थान पर है जहां बेरोजगारी के कारण युवा आत्महत्या कर रहे हैं।
* अजीब तो यह भी है कि आत्महत्या करने वाले 199 लोगों में 122 पुरुष और 87 महिलाओं ने आत्महत्या का रास्ता केवल इसलिए चुना क्योंकि वे अपने हीरो यानि एक्टर या एक्ट्रेस की पूजा करते हैं और उनके किसी नजदीकी के साथ उस एक्टर या एक्ट्रेस को लेकर विचारों में मतभेद था।
* इस तरह के मामलों में रीवा में 198 मामले आत्महत्या के दर्ज किए गए।
* जबकि छतरपुर में केवल एक मामला ही दर्ज किया गया।
* रिकॉर्ड के मुताबिक पिछले साल यानी 2015 में विभिन्न कारणों से की गई आत्महत्याओं के 10,293 मामले दर्ज किए गए।
* आत्महत्या के आंकड़ों पर नजर डालें तो प्रदेश में सबसे ज्यादा मामले इंदौर मे सामने आए। इनकी संख्या 653 थी। रीवा में 604, सागर में 520, जबलपुर में 468 और भोपाल में भी 468 मामले सामने आए।
आत्महत्या के कारण
* भोपाल में आत्महत्या के कारण बेरोजगारी और किसी एक्टर की पसंद वाली परिस्थितियां बनीं। पर बड़े कारणों में पारिवारिक विवाद, दिमागी रूप से बीमार होना सामने आया।
पारिवारिक
* प्रदेश में 2,749 आत्महत्या के मामलों में 1595 पुरुषों और 1,154 महिलाओं ने पारिवारिक कारणों से आत्महत्या को गले लगाया।
* इंदौर में 371 मामले इस तरह के दर्ज हुए।
* रीवा में पारिवारिक कारणों के चलते आत्महत्या के 345 मामले दर्ज किए गए।
* वहीं धार में आत्महत्या के 200 मामले दर्ज किए गए, जो पारिवारिक कारणों से संबंधित रहे।
मानसिक बीमारियां
* दिमागी रूप से बीमार लोगों की आत्महत्या के मामलों में पिछले साल मुकाबले इस साल 128 फीसदी तक की वृद्धि दर्ज की गई है।
* कुल 861 पुरुषों ने दिमागी बीमारियों से परेशान होकर आत्महत्या कर ली।
* वहीं मानसिक रूप से बीमार 366 महिलाओं ने मौत को गले लगाया।
* खरगोन जिले में ऐसे 95 मामले सामने आए।
* मंडला में 71 मामले।
* पन्ना 61 मामले आत्महत्या के मामले।
सामाजिक छवि भी जिम्मेदार
प्रदेश में आत्महत्या करने वालों में ऐसे लोग भी शामिल है जिन्होंने समाज में इज्जत की खातिर खुदकुशी का रास्ता अपनाया। 2014 के मुकाबले इस साल 94 मामले ज्यादा दर्ज किए गए हैं। 2014 में यह आंकड़ा 63 था।
* रीवा में 61 मामले ऐसे सामने आए।
* छतरपुर में 27 और अनूपपुर में सामाजिक छवि को लेकर आत्महत्या के 18 मामले सामने आए।
* पिछले साल प्रेम प्रसंग के मामलों में 165 पुरुषों ने तो 186 महिलाओं ने मौत को गले लगाया। जबकि पिछले साल यह आंकड़ा केवल 110 था।
इन सभी मामलों के अलावा प्रदेश में आत्महत्या के 565 मामले दर्ज किए गए। ये सभी मामले दहेज के कारण सामने आए। जबकि पिछले साल दहेज के कारण आत्महत्या के 669 मामले सामने आए थे।
गरीबी भी वजह
आत्महत्या के कारणों में गरीबी भी मुख्य कारण है। हालांकि इन मामलों में कमी आई है। पिछले साल गरीबी के कारण जहां 38 लोगों ने आत्महत्या की थी। वहीं इस साल केवल 15 मामले ही सामने आए।
ये भी जानें
* प्रदेश में सामने आने वाले आत्महत्या के 10,293 मामलों में 2,701 गृहिणियों ने आत्महत्या की है।
* 1942 आत्महत्या करने वाले दिहाड़ी मजदूर थे।
* 1265 बेरोजगारों ने आत्महत्या को गले लगाया।