एमई, एमटेक जैसी डिग्री धारकों को नेट परीक्षा देने की आवश्यकता नहीं होगी। बायोटेक्नोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, केमिस्ट्री और कंप्यूटर साइंस जैसे विषयों की दोहरी प्रकृति को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है।
स्पष्टता की हो रही मांग
भोपाल के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में यह मुद्दा चर्चा का केंद्र बना हुआ है। छात्र यह समझने में असमर्थ हैं कि उनका कोर्स किस श्रेणी में आता है। बायोटेक्नोलॉजी जैसे विषय, जो जीवविज्ञान, रसायन विज्ञान और इंजीनियरिंग का मेल है, इसे कभी प्रोफेशनल तो कभी नॉन-प्रोफेशनल श्रेणी में रखा जाता है। बरकतउल्ला विश्वविद्यालय और मध्य प्रदेश के अन्य शिक्षण संस्थानों के शिक्षक और छात्र इस फैसले को लेकर स्पष्टता की मांग कर रहे हैं। मैनेजमेंट और कंप्यूटर साइंस जैसे विषय, जो एमबीए और बीसीए जैसे कोर्सों में प्रोफेशनल दृष्टिकोण से पढ़ाए जाते हैं, वहीं इन्हीं विषयों को बीए और बीकॉम में अकादमिक दृष्टिकोण से पढ़ाया जाता है।
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यूजीसी को चाहिए स्पष्ट नीति
इस संबंध में मोतीलाल विज्ञान महाविद्यालय में केमिस्ट्री के प्रोफेसर डॉ. आनंद शर्मा का कहना है कि यूजीसी को जल्द से जल्द एक स्पष्ट और व्यापक नीति लानी चाहिए, जिससे छात्रों को अपने करियर के फैसले लेने में मदद मिल सके। वहीं प्रोफसर गणित के प्रोफेसर डॉ. राजेश श्रीवास्तव का कहना है कि सही मार्गदर्शन की कमी से छात्रों के भविष्य को लेकर अनिश्चित बन रही है।
छात्रों का ये है कहना
यूजीसी नेट के तैयार कर रहे श्याम प्रजापति एवं संदीप शर्मा का कहना कि पेशेवर और सामान्य कोर्सों के बीच की अस्पष्टता को दूर करने के लिए यूजीसी को और अधिक पारदर्शी दिशा-निर्देश जारी करने चाहिए। इसके साथ ही, विश्वविद्यालयों और शिक्षकों को भी छात्रों को सही जानकारी और सलाह देने में सक्रिय भूमिका निभानी होगी।