कालाबाजारी का मामला खुलने के बाद वन विभाग ने प्रदेश के सभी टाइगर रिजर्व में तत्काल ऑनलाइन बुकिंग सेवा पर एक जनवरी से रोक लगा दी है। यह रोक अब भी लगी है। एमपी ऑनलाइन से बार-बार टिकट बुक करने, कैंसिल करने और टिकट कैंसिल करने वाले एजेंट्स के बुक टिकटों का डाटा मंगाया गया है। इस आधार पर अब संबंधित पर्यटकों से पूछताछ होगी। टिकट की यह कालाबाजारी बांधवगढ़ समेत अन्य टाइगर रिजर्व में की जा रही थी। एपीसीसीएफ (वन्य प्राणी) शुभरंजन सेन ने बताया कि एजेंट पांच गुना तक वसूली कर रहे थे। मामले की विस्तृत जांच की जा रही है।
बांधवगढ़ में 3 कोर गेट ताला, खितौली, मगधी में एक शिफ्ट में कोर क्षेत्र में भ्रमण के लिए 75 टिकट होते हैं। प्रति टिकट 6 और 75 टिकट पर 450 पर्यटक जा सकते हैं। बांधवगढ़ में पोर्टल पर सभी टिकट बुक दिखते थे, पर जमीन पर सैलानी नहीं दिखते थे। इसी से शक बढ़ा।
ऐसे चला पता प्रबंधन ने अक्टूबर, नवंबर में कैंसिल टिकटों के डाटा की जांच की। पता चला कि कुछ आइडी से थोक में टिकट बुक किए गए। बाद में रद्द किया और फिर बुकिंग की गई। इसके बाद खेल सामने आ गया।
अब तक ऐसी थी व्यवस्था
1. किसी पार्क के 100% टिकटबुक होने पर पोर्टल सेवेटिंग टिकट मिलते थे।
2. अगली तिथि का टिकट खरीदने पर मामूली पोर्टल शुल्क देकर अगली तिथि के लिए री-शेड्यूल करने की सुविधा थी। री-शेड्यूल के बाद भी न जाने पर टिकट रद्द कराकर राशि रिफंड होती थी।
3. एक माह बाद का टिकट खरीदने और घूमने की तारीख से 5 दिन के भीतर कैंसिल करने पर वह तत्काल कोटे में चला जाता था। यह तय तिथि के 1 दिन पहले पोर्टल पर दिखता था। सामान्य पर्यटक इसे बुक कर सकते थे।
अब सिस्टम ऐसा 1. किसी सैलानी को वेटिंगbटिकट नहीं मिलेगा। 2. री-शेड्यूल के बाद टिकटनिरस्त किए तो रिफंड नहीं। 3. पहले से बुक ऑनलाइन टिकट कैंसिल करने पर उनकी स्थिति ऑनलाइन नहीं दिखेगी। वे संबंधित टाइगर रिजर्व के अधिकृतपोर्टल पर संबंधित तिथि केएक दिन पहलेे दिखेंगे। उनकी बुकिंग काउंटर से होगी।
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