दरअसल कहा जाता है कि ग्वालियर के राजा मान सिंह तोमर एक बार शिकार के लिए निकले थे। शिकार करते समय उनकी नजर गूजरी जाति की महिला पर पड़ी…इसका नाम भी गूजरी ही था। जब राजा मान सिंह तोमर ने गूजरी को दो भैंसों से लड़ते हुए देखा तो वे गूजरी के साहस और उसकी सुंदरता देखकर न केवल प्रभावित हुए बल्कि अपना दिल भी हार बैठे…।
सपने में दिखने लगी गूजरी अब राजा मानसिंह तोमर को सपने में भी गूजरी की खूबसूरती नजर आने लगी। एक दिन राजा ने गूजरी के सामने जाकर शादी का प्रस्ताव रख दिया। गूजरी ने प्रस्ताव स्वीकार तो किया..लेकिन तीन शर्तों के साथ…
रानी की तीन शर्ते
1. रानी अपनी पहली शर्त में राजा से कहा कि उसके लिए अलग से महल बनवाया जाए। राजा ने ऐसा ही किया। महल बनवाया… चूंकि रानी गुजर परिवार की लड़की थी, इसलिए इस महल का नाम गुजारी महल पड़ गया।
2. रानी की दूसरी शर्त ये थी कि वो राजा के साथ हर युद्ध में साथ जाएगी।
3. तीसरी शर्त रानी की तीसरी शर्त ये थी कि वह बचपन से ही अपने गांव में बहने वाली सांक नदी का पानी पीती थी, इसलिए उसे महल में भी उस नदी का ही पानी मिलना चाहिए।
राजा ने असंभव को संभव कर दिखाया
राजा मानसिंह ने रानी की तीनो शर्त मान तो ली। लेकिन उन शर्तों को पूरा करना आसान नहीं था। दरअसल ग्वालियर का किला काफी ऊंचाई पर था और गुजरी के गांव से पानी लेकर ऊंचाई पर पहुंचना आसान नहीं था। लेकिन 17वीं सदी में भी राजा मानसिंह अपना प्यार पाने के लिए जैसे आसमान से तारे तोड़ लाए थे… मानसिंह ने गूजरी गांव से सांक नदी के पानी के बहाव के विपरीत ऐसी पाइप लाइन बिछाई जो मैदानी इलाकों से पानी ले जाते हुए किले तक पहुंचाने लगी।
गूजरी के प्रेम को स्वीकार नहीं कर रहे थे दरबारी
राजा मानसिंह और रानी गूजरी के बीच प्रेम भले ही परवान चढ़ता रहा। लेकिन गूजरी जाति होने के कारण महल में गूजरी के प्रेम का विरोध होने लगा था। राजदरबार के लोग एक गूजर स्त्री को रानी के रूप में स्वीकार करने को तैयार नहीं थे।
शादी के बाद ‘मृगनयनी’ कहलाई गूजरी राजा मानसिंह ने इन सभी आपत्तियों को नजरअंदाज कर दिया और गूजरी से विवाह कर लिया। विवाह के बाद जब उन्होंने गुजरी को अपनी रानी बनाया तो उसे नया नाम दिया ‘मृगनयनी’। लेकिन उन्होंने अपने महल का नाम गुजरी महल ही रखा ताकि ये महल सदियों तक इस राजा-रानी के प्यार का प्रतीक बना रहे।
राजा मान सिंह और रानी मृगनयनी की ये प्रेम कहानी ऐतिहासिक पन्नों में स्वर्ण अक्षरों से लिखी गई है। जिसकी सूरज सी चमक किले की दीवारों को रोशन रखती है। एक ऐसी मिसाल बनी है, जिसे लव कपल को जरूर जानना चाहिए… ग्वालियर में बना गूजरी महल आज भी इस अनोखी और आदर्श प्रेम की कहानी कहता है। हालांकि अब महल को संग्रहालय में बदल दिया गया है। लेकिन टूरिस्ट आज भी इस अमर प्रेम की कहानी से रूबरू होते हैं और उसे महसूस करते हैं।