scriptनृत्य से किया भगवान राम के शोभायमान रूप का वर्णन | The description of the graceful form of Lord Rama done by dance | Patrika News
भोपाल

नृत्य से किया भगवान राम के शोभायमान रूप का वर्णन

संस्कृति विभाग की एकाग्र श्रृंखला गमक में मराठी साहित्य अकादमी की ओर से ‘मातृभूमि वंदना’ का आयोजन किया

भोपालSep 27, 2021 / 12:18 am

hitesh sharma

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भोपाल। संस्कृति विभाग की एकाग्र श्रृंखला गमक में मराठी साहित्य अकादमी की ओर से ‘मातृभूमि वंदना’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें कल्याणी और वैदेही फगरे ने नृत्य प्रस्तुति दी। उन्होंने कार्यक्रम का आरम्भ मंगलाचरण से किया। इस प्रस्तुति के जरिए भगवान गणपति की आराधना की गई। प्रस्तुति में दिखाया कि भगवान गणपति नायकों के नायक हैं, वे सारी कलाओं के स्रोत हैं, गणों के नायक और महेश्वर के पुत्र हैं। यह पं. विनयचन्द्र की सुंदर संगीत संरचना और गुरु केलुचरण मोहापात्र की अद्वित्य नृत्य रचना थी।
इसके बाद राग बिहाग में निबद्ध रचना पल्लवी ओडिसी नृत्य की प्रस्तुति दी। इसके माध्यम से कलाकारों ने अलग-अलग भंगिमाओं को दिखाया। यह प्रस्तुति गुरु केलुचरण महापात्र ने नृत्तबद्ध की है जिसमें भुबनेश्वर मिश्र ने स्वर दिया है। अगले चरण में रामाष्टकं की प्रस्तुति हुई। भगवान राम के शोभायमान रूप और जीवन के विभिन्न वृतान्तों का वर्णन किया गया। अंतिम प्रस्तुति मातृभूमि वंदना की हुई।

मां पार्वती की वंदना कर मटकी नृत्य करती हैं कन्याएं

भोपाल। लोकराग समारोह में भोपाल के फूलसिंह माण्डरे और साथियों ने बुन्देली गायन की प्रस्तुति दी तो उज्जैन की प्रतिभा रघुवंशी व साथियों ने मटकी नृत्य प्रस्तुत किया। कार्यक्रम की शुरुआत बुंदेली गायन से हुई। उन्होंने सोहर गीत- मैहर माता नें दये वरदान…, विवाह गीत- रेवा के रचे हैं ब्याव, चलो देखन चलें…, दिवारी गीत- आई दिवारी रे…,लोक भजन- मरघट में राम…, गीतों की प्रस्तुति दी। कार्तिक गीत बस हो गए भगवान… से अपनी प्रस्तुति को विराम दिया। दूसरी प्रस्तुति मटकी नृत्य की हुई। मालवी लोकगीत गणेश वंदना- सेवा म्हारी मानी लो गणेश देवता… से नृत्य का प्रारंभ हुआ। इसके बाद मालवी लोक नृत्य पारंपरिक ऊंची जो पालू तलाव…, म्हारो टूट गयो बाजू बंद…, और संजा लोक नृत्य पेश किया। मालवा में श्राद्ध पक्ष में 16 दिन तक कुंवारी कन्याएं गाय के गोबर से संजा मांडती हैं। उस संजा को फूलों से सजाती हैं और संजा के विभिन्न पारंपरिक गीत गाती हैं। ऐसी मान्यता है कि मां पार्वती इन दिनों माईके आईं हैं और कन्याएं मां पार्वती की वंदना कर रही हैं।

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