सन 2013 में बीजेपी के सबसे वरिष्ठ नेता और मध्यप्रदेश सरकार में वित्त मंत्री राघवजी पर उनके नौकर के साथ अप्राकृतिक कृत्य करने का आरोप लगाया गया था। पुलिस में उनके खिलाफ केस दर्ज हुआ और उन्हें बाद में गिरफ्तार कर लिया गया। प्रदेश के साथ ही देशभर में यह केस चर्चित हो उठा था। राघवजी को इस्तीफा देना पड़ा था। बाद में हाईकोर्ट ने राघवजी को निर्दोष बताते हुए उनपर दर्ज एफआईआर रद्द करने का आदेश दिया था। अब सुप्रीम कोर्ट ने भी इस केस में उन्हें निरपराध बताया है।
राघवजी पर जुलाई 2013 में उनके नौकर ने राजधानी भोपाल के हबीबगंज थाना में एफआईआर दर्ज कराई थी। केस दर्ज होने पर राघवजी को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। भोपाल पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। दो साल बाद दिसंबर 2015 में पुलिस ने कोर्ट में इस केस का चालान पेश किया।
इसके बाद राघवजी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर उनपर दर्ज एफआईआर खारिज करने की मांग की। याचिका पर आठ साल बाद सुनवाई हुई और हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए एफआईआर निरस्त कर दी। कोर्ट ने इस मामले को राजनीतिक और द्वेषपूर्ण भी बताया।
हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ पीड़ित नौकर ने शीर्ष कोर्ट में याचिका लगाई। पीड़ित ने सुप्रीम कोर्ट से हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की मांग की। अब सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ित नौकर की याचिका को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश को यथावत रखते हुए पूर्व वित्त मंत्री राघवजी को निर्दोष करार दिया।
कुकर्म केस में सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने पर पूर्व वित्त मंत्री राघवजी ने कहा कि सत्य परेशान हो सकता है, लेकिन पराजित नहीं। आखिरकार सत्य की जीत हुई। उन्होंने कहा कि राजनैतिक विरोधियों ने मुझे फंसाने का षड़यंत्र किया था। यौन शोषण केस न केवल 60 साल के राजनीतिक जीवन पर दाग लगा बल्कि मेरी सामाजिक छवि भी खराब हो गई थी। फैसले के बाद विदिशा के कई समाजसेवी राघवजी के निवास पर पहुंचे और शॉल- श्रीफल से उन्हें सम्मानित किया। राघवजी और उनके परिजनों ने मिठाई खिलाकर इस फैसले पर खुशी जाहिर की।