भोपाल स्टेशन पर अब दोना-पत्तल में सर्व हो रहा खाना भोपाल रेल मंडल के सभी रेलवे स्टेशनों पर गांधी जयंती (2 अक्टूबर) से सिंगल यूज्ड प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया गया है। मंडल के वेंडर्स अब पर्यावरण को लेकर जागरूक हो गए हैं। अब वे खाने की चीजों को प्लास्टिक के स्थान पर पत्तों से बने दोना-पत्तल में सर्व कर रहे हैं।
यह प्रयोग स्टेशन परिसर में पॉलिथीन के उपयोग को रोकने व हरित स्टेशन की परिकल्पना को साकार करने के उद्देश्य से किया जा रहा है। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि स्टेशनों पर पत्तों के दोनों में खाद्य सामग्री बेचने से प्लास्टिक और कागज़ के उपयोग में कमी तो आएगी ही साथ ही दोना-पत्तल से जुड़े लोगों के रोजगार में भी वृद्धि होगी। इसकी खास बात यह है कि यह पूर्णत: ईको-फ्रेंडली हैं। इस्तेमाल के बाद इन्हें जानवरों के लिए फेंक दें या फिर इन्हें सड़ा कर खाद भी बनाई जा सकती है। भोपाल मंडल के डीआरएम उदय बोरवणकर ने बताया कि मंडल के सभी छोटे-बड़े स्टेशनों पर अब दोना-पत्तल का इस्तेमाल किया जा रहा है। बता दें, भोपाल रेलवे स्टेशन पर कुल 22 वेंडिंग स्टॉल्स हैं, सभी स्टॉल्स पर दोना-पत्तल व लकड़ी के चम्मच उपलब्ध हैं।
पैसा जमा कर देते हैं थैला, वापिस करने पर पैसे वापिस पांच नंबर मार्केट में अशोक किराना स्टोर के अशोक अग्रवाल ने भी अपनी दुकान में प्लास्टिक की थैलियां रखना बिल्कुल बंद कर दिया है। अब वे बैग नहीं लाने वाले ग्राहकों को सामान ले जाने के लिए कपड़े का थैला देते हैं। इसके लिए वे 10 रूपए जमा कराते हैं। थैला वापिस देने पर यह 10 रूपए वापिस कर देते हैं। अशोक अग्रवाल ने बताया कि उन्होंने खासतौर पर इसके लिए 5 हजार रूपए के कपड़े के थैले खरीदे हैं। थैला वापिस करने के लिए कोई समय सीमा भी तय नहीं है। ग्राहक कभी-कभी चार-पांच थैले भी एक साथ वापिस करते हैं। इस प्रयोग से उनकी दुकान पर प्लास्टिक की थैलियों का उपयोग बिल्कुल बंद हो गया है। अन्य दुकानदार भी इसे अपनाने की ओर बढ रहे हैं।
भंडारे में डिस्पोजेबल की जगह किया स्टील के बर्तन का उपयोग सामाजिक संस्थाओं द्वारा भी प्लास्टिक मुक्ति के लिए पहल की जा रही है। पिछले महीने जीनगर समाज की ओर से बाबा रामदेव जन्मोत्सव समारोह के अंतर्गत भंडारे का आयोजन किया गया था। इस दौरान समाज के लोगों ने इस आयोजन को प्लास्टिक मुक्त किया था। टीला जमालपुरा में आयोजित इस भंडारे में समाज के लोगों ने प्लास्टिक का इस्तेमाल पूरी तरह बंद कर किराए से थालियां, गिलास, कटोरिया सहित अन्य सामग्री लाई थी और इसी में भंडारे का खाना परोसा गया था। इस आयोजन को अन्य समाजों के लोगों ने भी काफी सराहा था। जीनगर समाज के अध्यक्ष कन्हैयालाल डाबी ने बताया अब हर आयोजन में स्टील के बर्तनों का ही उपयोग हो रहा है। इसी प्रकार बागमुगालिया एक्सटेंशन सोसायटी में भी सिंगल यूज प्लास्टिक बिल्कुल
बंद कर दिया गया है। सोसायटी के अध्यक्ष उमाशंकर तिवारी ने बताया कि बड़े आयोजनों के लिए बाकायदा किराए के बर्तनों की व्यवस्था की जाती है। यदि किसी के यहां प्लास्टिक के डिस्पोजेबल उपयोग होते हैं तो उनके यहां खाना खाने कोई नहीं जाता।