हार की समीक्षा में हुआ खुलासा
आपको बता दें कि, पार्टी हाईकमान ने विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली हार की गहन समीक्षा की है, जिसमें सामने आया कि, हार के लिए पूरी तरह शिवराज जिम्मेदार नहीं है। समीक्षा में सामने आया कि, हार का मुख्य कारण चुनाव से पहले प्रदेश भाजपा के नेताओं में हुआ मनमुटाव था, जिसके चलते ये नेता कांग्रेस की तरह एकजुट होकर जिम्मेदारी नहीं निभा पाए थे। यही वजह रही कि भाजपा को मामूलों सीटों के अंतर से सत्ता से बाहर होना पड़ा।
प्रदेश में शिवराज की सक्रीयता बढ़ाई
बजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भी प्रदेश में लोकसभा चुनावों को लेकर सर्वे कराया। इसमें मौजूदा सांसदों की लोकप्रियता और नए टिकट वितरण पर गहन आंकड़े जुटाए गए। माना जा रहा है कि, भाजपा सामने आए परिणामों के आधार पर ही टिकट वितरण करेगी। सर्वे प्रदेश के सभी नेताओं की लोकप्रीयता को लेकर भी हुआ, जिसमें हाईकमान के सामने आया कि, शिवराज अब भी प्रदेश का सबसे लोकप्रिय चेहरा हैं। शाह की रिपोर्ट में भी शिवराज की छवि के बारे में बताया गया है। यही वजह है कि, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का प्रभार मिलने के बाद शिवराज को अब तक किसी अन्य राज्य का प्रभार नहीं सौंपा गया है। शिवराज की प्रदेश में बढ़ती सक्रीयता भी यही इशारा कर रही है कि, आलाकमान ने शिवराज को एमपी में ही कैश करने का मन बनाया है। संकेत ये भी है कि, पार्टी हाईकमान ने शिवराज को प्रदेश में तैनात किए गए लोकसभा प्रभारी, सह प्रभारी एवं अन्य पदाधिकारियों से बेहतर तालमेल बनाने की भी सलाह दी गई है।
लोकसभा चुनाव में शिवराज की रहेगी अहम भूमिका
भाजपा क केंद्रीय सूत्रों की माने तो इस लोकसभा चुनाव में शिवराज की अहम भूमिका रहेगी। इसका बड़ा करण ये है कि, प्रदेश का कोई अन्य बड़ा नेता उस तरह की सक्रीयता नहीं निभा पाएगा। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह खुद जबलपुर से चुनाव लड़ेंगे। ऐसे में वो सबसे ज्यादा फोकस अपने क्षेत्र में ही रखेंगे। पार्टी सूत्रों की माने तो इसी तैयारी के चलते वो विधानसभा चुनाव के बाद पार्टी हाईकमान को इस्तीफा देने की पेशकश भी कर चुके हैं। इसके अलावा, भाजपा नेता नरेन्द्र सिंह तोमर भी सांसद चुनाव में खड़े होंगे। ऐसे में वो भी अपने क्षेत्र में ही ज्यादा सक्रीय रहेंगे। ऐसी स्थिति में शिवराज ही ऐसा चेहरा बचे हैं, जो लोकसभा चुनाव में अहम भूमिका निभाएंगे।