मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह बयान दिल्ली (delhi) में दिया है। वे भाजपा कार्यसमिति की बैठक में पहुंचे थे। उनके साथ प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा भी मौजूद हैं। मुख्यमंत्री चौहान का यह बयान ऐसे समय में आया है आने वाले दिनों में मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और मध्यप्रदेश में चुनाव से पहले सरकार या भाजपा संगठन में किसी प्रकार के बदलाव और चेहरा बदलने की अटकलें लग रही हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (cm shivraj singh chauhan) ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि वे पार्टी के लिए क्या काम करेंगे, यह फैसला खुद नहीं ले सकते। यदि पार्टी मुझसे कहती है कि मैं कार्यक्रमों में दरी बिछाऊं, तो वह भी मैं करूंगा। एक अच्छा कार्यकर्ता वही होता है, जो अपने लिए खुद ही फैसले न लेता हो। यदि पार्टी पर ही छोड़ना चाहिए कि वे तय करें कि कौन-सा कार्यकर्ता किस लेवल पर अच्छा काम कर सकता है।
गुजरात जैसी तैयारी तो नहीं
मध्यप्रदेश में बीजेपी की चुनावी तैयारियों को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हमें जीत का भरोसा है। उन्होंने कहा कि हमारे लिए हर साल ही चुनावी साल होता है। हम हमेशा चुनाव के लिए तैयार रहते हैं। चौहान ने कहा कि चुनावी टेंशन तो उन लोगों को होती है, जो चार साल तक काम नहीं करे। चुनावी साल में ही काम करते हैं।
चौहान ने कहा कि बीजेपी ने मध्यप्रदेश के चुनाव के लिए काफी पहले से तैयारी तेज कर दी है। गौरतलब है कि दिल्ली मीडिया में अटकलें चल रही हैं कि गुजरात की तर्ज पर मध्यप्रदेश में भी 40 प्रतिशत विधायकों के टिकट कट सकते हैं। जिससे आंतरिक मनमुटाव को टाला जा सके।
शिवराज कैबिनेट में भी बदलाव की अटकलें हैं कि कुछ नए चेहरों को लाया जा सकता है। जबकि भाजपा में इस प्रकार की रणनीति पर भी काम चल रहा है कि कैसे बीजेपी क्षेत्रीय और जातीय समीकरणों को संतुलित करे। गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान ही भाजपा के ऐसे नेता हैं जो 20 वर्षों से कद्दावर बने हुए हैं।
पहले भी कही थी यही बात
इससे पहले अगस्त 2022 को भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने एक चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा था कि मैं भाजपा के समर्पित कार्यकर्ता हूं। मुझे कोई अहम नहीं कि मैं ही योग्य हूं। पार्टी दरी बिछाने को कहेगी तो शिवराज सिंह चौहान राष्ट्र के पुनर्निर्माण में दरी भी बिछाने का काम करेगा। गौरतलब है कि शिवराज सिंह चौहान का यह बयान उस समय आया था जब संसदीय बोर्ड का पुनर्गठन किया गया था और उन्हें हटा दिया था। इसी के बाद उन्होंने यह बयान दिया था।