सीहोर। यूं तो पार्वती जी को हिमालय पुत्री के नाम से जाना जाता है और लेकिन भोपाल के पास भी एक ऐसा स्थान है जो पार्वती जी को अत्यंत प्रिय है और वे इसे अपना पीहर मनाती हैं। कहा जाता है कि उनके पीहर में दामाद भोलेनाथ का मंदिर है लेकिन जो भी यहां श्रृद्धा से सिर झुकाता है उसे माता पार्वती जी के दर्शन भी हो जाते हैं।
जिला मुख्यालय से 45 किमी दूर आष्टा शहर अपने आप में एक अलग पहचान रखता है। इस नगर में भगवान भोलेनाथ और मां पार्वती के एक साथ दर्शन करने को मिल जाएंगे। यही कारण है कि आष्टा को मां पार्वती का पिहर भी कहा गया है। यहां दर्शन करने का सिलसिला लगातार चलता रहता है।
आष्टा शहर का सीहेार आष्टा प्राचीन शंकर मंदिर वर्षो पुराना होने के कारण आस्था का प्रतीक है। यह क्षेत्र मां पार्वंती का उद्गम स्थल भी है। खास बात यह है कि शंकर मंदिर से सटकर मां पार्वती निकली है। मंदिर में यदि कोई श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ के दशज़्न करने आता है तो उसे मां पार्वती के भी दर्शन करने को मिल जाते हैं। मंदिर के पुजारी हेमंत गिरी बताते हैं कि मंदिर वर्षो पुराना है। प्रदेश में ऐसा मंदिर नहीं देखने को मिलेगा, जहां से मां पार्वती निकली हो। मंदिर में वैसे तो 12 महीने श्रद्धालु आते रहते हैं, लेकिन त्योहार और सावन माह में भीड़ में काफी इजाफा हो जाता है। प्रति सोमवार को श्रद्धालुओं को दर्शन करने घंटों कतार में लगना पड़ता है। रात में भगवान की पालकी निकाली जाती है।
होती है मन की मुराद पूरी
मंदिर के पुजारी की माने तो जो श्रद्धालु सच्चे मन से मंदिर आता है, उसके मन की हर मुराद पूरी होती है। समिति और जनसहयोग से मंदिर का कायाकल्प होने के बाद एक बार आने वाला दोबारा आने की इच्छा रखता है।
Hindi News / Bhopal / यहां हैं पार्वती जी का मायका, भगवान भोले भी जाते हैं अपनी ससुराल