अध्योध्य में जब बाबरी ढांचा गिराया गया था उस वक्त राष्ट्रपति उसे गिरने से रोकना चाहते थे। पर रोक नहीं पाए। इसे भारतीय संविधान की ताकत कहें या फिर सर्वोच पद की बिवसता। वही संविधान जो देश को राष्ट्रपति के रूप में सर्वोच्च पद देता है तो संविधान की धाराओं से इस पद को इस तरह से बांध देता है कि राष्ट्रपति ढांचे को गिरने से बचाने में बेबस हो जाते हैं। ये शंकरदयाल शर्मा के रोने का एक किस्सा है। अयोध्या से जब बाबरी को लेकर खबर राष्ट्रपति भवन में पहुंची तो शंकर दयाल शर्मा रोने लगे थे।
शंकर दयाल को सेकुलर नेता माना जाता था। जब वे मध्यप्रदेश के शिक्षामंत्री थे तो उन्होंने स्कूलों में ‘ग’ से ‘गणेश’ की जगह ‘ग’ से ‘गधा’ पढ़ाना प्रारंभ करवाया। तर्क दिया गया था कि ‘गधा’ किसी धर्म का नहीं होता। शिक्षा को धर्म से नहीं जोड़ना चाहिए।
1991 में राजीव गांधी की मौत के बाद सोनिया गांधी कांग्रेस की अध्यक्ष बनीं। 1991 में देश में कांग्रेस की जीत हुई। पार्टी में मंथन चल रहा था प्रधानमंत्री किसे बनाया जाए। तब सोनिया गांधी को सोनिया इंदिरा गांधी के सबसे वफादार शंकर दयाल शर्मा की याद आई। सभी कांग्रेसी नेता उनके नाम पर सहमत हुए। नेहरू-गांधी परिवार की वफादार अरुणा असीफ अली शंकर दयाल शर्मा से मिलने पहुंची। सोनिया गांधी का संदेशा सुनाया। पार्टी चाहती है आप देश के 10वें प्रधानमंत्री पद की शपथ ले। शंकर दयाल ने उम्र का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री का पद ठुकरा दिया। इसके बाद नरसिंहराव देश के प्रधानमंत्री बने।