दिन में तीन बार दिया जाता है भोजन
यहां रह रहे सेवानिवृत्त श्वानों को दिन में तीन बार सुबह, दोपहर और शाम को भोजन दिया जाता है। इसमें पेटेगरी, दलिया, पपीता, गाजर, लौकी शामिल होती है। शाम को दलिया और नानवेज दिया जाता है।आराम के लिए बिछे हैं पलंग और गद्दे
सेवानिवृत्त श्वान आश्रय में रह रहे डॉग को आराम करने के लिए पलंग और गद्दे बिछाए गए हैं। गर्मी से राहत देने के लिए कमरों के अंदर और बाहर शेड में कूलर और पंखे लगाए गए हैं। कुछ डॉग के लिए बाहर टेंट लगाकर पलंग बिछाया गया है। ठंड के दिनों में सर्दी से बचने के लिए कंबल की व्यवस्था रहती है।टहलने के लिए गार्डन, स्वीमिंग पूल भी
23वीं बटालियन परिसर में करीब एक एकड़ में सेवानिवृत्त श्वान आश्रय केंद्र चलता है। यहां 6 कमरे हैं, हर कमरे में 4 डॉग रहते हैं। घूमने फिरने के लिए गार्डन है, तो गर्मी से राहत देने के लिए फव्वारा, वाटर फॉल और स्वीमिंग पूल बनाया गया है। यह खुले मैदान में भी रहते हैं और कमरों में थी। कोई बंदिश नहीं है, यह अपने हिसाब से रहते हैं।10 साल का होता है सेवाकाल
पुलिस मुख्यालय द्वारा 10 साल की उम्र में डॉग की सेवानिवृत्त तय की गई है। इनके रिटायमेंट के लिए चिकित्सकों की एक कमेटी गठित की जाती है, जो जांच करने के बाद रिटायरमेंट तय करती है। फिट पाए जाने पर 6 महीने का एक्सटेंशन दिया जाता है। आखिर में उसे 10 साल छह माह की उम्र में रिटायर कर दिया जाता है। इन रिटायर डॉग को उनके वृद्धाश्राम में रखा जाता है।पुलिस सेवा में यह डॉग शामिल
पुलिस सेवा में जर्मन शेफर्ड, लेब्राडोर, डाबरमैन, मुथोल हाउंड सहित अन्य ब्रीड के श्वान शामिल किए जाते हैं। अब इन्हें एक साथ ही रखा जाता है, तो सुबह से खेलते हैं, दौड़ते हैं। इसलिए अब यह स्वस्थ्य रहते हैं, चिड़चिड़े नहीं होते।–अजय पांडेय, कमांडेंट 23वीं बटालियन, भोपाल