सिंधिया परिवार scindia family की तकरीबन हर पीढ़ी जो राजनीति में आई उसका कहीं न कहीं कांग्रेस congress से जुड़ाव रहा, लेकिन ये भी सच है कि इस राजवंश royal family का हर वो सदस्य जो कभी न कभी कांग्रेस से जुड़ा रहा था, उसने royal family of india नाराजगी के चलते एक न एक बार कांग्रेस अवश्य छोड़ी। फिर चाहे वह राजमाता Rajmata Scindia सिंधिया रही हो, जिन्होंने भाजपा में आने के बाद कभी पीछे मुड़कर कांग्रेस को नहीं देखा, या माधवराव Madhavrao Scindia सिंधिया जिन्होंने 90 के दशक में कांग्रेस छोड़कर नई पार्टी तक का निर्माण कर दिया था, भले ही बाद में वे वापस कांग्रेस congress news में चले गए।
आजादी के बाद ग्वालियर का जयविलास Jai Vilas Palace महल आजादी के बाद रजवाड़ों royal family scindia की राजनीति का एक प्रमुख केंद्र रहा है। देश के मध्य में स्थित अलग-अलग रियासतों को जोड़कर जब मध्य भारत नाम का एक राज्य बनाया गया तो, ग्वालियर परिवार के मुखिया जिवाजीराव इसकी धुरी थे।
राजमाता विजयाराजे को कांग्रेस ने 1962 के आम चुनावों में ग्वालियर royal family scindia से उतारा था। 1957 में गुना से जीत के बाद यहां एक बार फिर से विजयाराजे ने अपने विरोधियों को चारो खाने चित करते हुए जोरदार जीत हासिल की। हालांकि 1967 में मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में उन्होंने एक स्वतंत्र प्रत्याशी royal family scindia के तौर पर लड़ा और जीत दर्ज की। मध्य प्रदेश की राजनीति में नया मोड़ तब आया जब विजयाराजे ने 1989 के आम चुनाव में बीजेपी के टिकट पर गुना लोकसभा से चुनाव लड़ा।
1957-गुना लोकसभा-कांग्रेस
1962-ग्वालियर लोकसभा-कांग्रेस
माधवराव सिंधिया Madhavrao Scindia and congress और कांग्रेस …
राजमाता विजयाराजे के कहने पर ही उनके बेटे माधवराव सिंधिया royal family scindia ने भी राजनीति में आए। उन्होंने अपना राजनैतिक कॅरियर 1971 में जनसंघ के टिकट पर गुना से लोकसभा चुनाव लड़ कर शुरू किया। इसके बाद उन्होंने 1977 के आम चुनाव में ग्वालियर लोकसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा और यहां से भी ऐतिहासिक जीत दर्ज की।
1980-गुना लोकसभा-कांग्रेस
1984-ग्वालियर लोकसभा-कांग्रेस
1989-ग्वालियर लोकसभा-कांग्रेस
1991-ग्वालियर लोकसभा-कांग्रेस कांग्रेस छोड़ी और फिर वापस आए…
इसके बाद माधवराव सिंधिया Madhavrao Scindia और कांग्रेस congress के रिश्तों Relationships में दरार आ गई, जिसके चलते माधवराव सिंधिया ने मप्र विकास कांग्रेस नाम की एक पार्टी बना ली और वे 1996 का लोकसभा चुनाव ग्वालियर से इसी पार्टी से लड़े, यहां भी उन्हें जीत ही मिली। लेकिन कांग्रेस से रिश्तों की दरार जल्द ही खत्म हो गई और वे फिर कांग्रेस में आ गए।
1998-ग्वालियर लोकसभा-कांग्रेस
1999-गुना लोकसभा-कांग्रेस MUST READ : ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ज्वाइन की भाजपा ज्योतिरादित्य सिंधिया jyotiraditya scindia and congress नाराजगी के बाद लिया साहसिक कदम…
पिता माधवराव की प्लेन क्रैश में अचानक मौत के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया royal family scindia ने पिता के कदमों पर आगे बढ़ते हुए कांग्रेस का दामन थाम लिया। दरअसल 30 सितंबर, 2001 को विमान हादसे में ज्योतिरादित्य के पिता माधवराव सिंधिया की मौत हो गई। फिर ज्योतिरादित्य राजनीति में आए, 2002 लोकसभा में उन्हें सर्वप्रथम चुना गया, 2004 में 14वीं लोकसभा में उन्हें दोबारा चुना गया।
2002-गुना लोकसभा-कांग्रेस (उपचुनाव)
2004-गुना लोकसभा-कांग्रेस
2009-गुना लोकसभा-कांग्रेस
2014-गुना लोकसभा-कांग्रेस
2019-गुना लोकसभा-कांग्रेस (हारे) इसके मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव 2018 से ज्योतिरादित्य सिंधिया के रिश्ते भी कांग्रेस के साथ खटास भरे होने लगे। जिसके बाद 10 मार्च 2020 को उन्होंने कांग्रेस को अलविदा कह दिया। अब 11 मार्च 2020 की दोपहर करीब 3 बजे उन्होंने भाजपा ज्वाइन कर ली है।
सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने political drama in mp के साथ ही मध्यप्रदेश में Madhya Pradesh Government Crisis सियासी हलचलें अत्यधिक तेज हो गईं। प्रदेश में जगह जगह से कांग्रेस के मंत्री व कार्यकर्ताओं के साथ ही समर्थक भी कांग्रेस से इस्तीफा दे रहे हैं।इससे पहले मंगलवार को ही दिल्ली स्थित भाजपा कार्यालय में उनकी ज्वाइनिंग की चर्चाएं चल रही थीं। लेकिन इसके बाद उन्होंने बुधवार यानि अगले दिन आज 11 मार्च को भाजपा की सदस्यता ले ली।
ज्योतिरादित्य Jyotiraditya Scindia सिंधिया के मंगलवार को ही भाजपा में आने के कयास इसलिए भी लगाए जा रहे थे, क्योंकि एक तो हर ओर उनकी ओर मोदी की मुलाकात का जिक्र चल रहा था, वहीं मंगलवार को वे दिल्ली में ही थे और इसी दिन bjp delhi office भाजपा कार्यालय में पाल्यामेंट्री बोर्ड की बैठक meeting भी थी। लेकिन 7 बजे शुरू होने वाली इस बैठक से करीब 1.30 घंटे पहले ही गृहमंत्री अमित शाह amit shah सहित भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, राजनाथ सिंह, नितीन गडकरी के अलावा कई बड़े भाजपा sr. leaders of bjp नेता दिल्ली स्थित भाजपा bjp office कार्यालय में पहुंच गए।