इनमें हर मंदिर में शिवलिंग की स्थापना की गई है। लेकिन एक घाट ऐसा है जहां भगवान राम के हाथों से स्थापित शिवलिंग के साथ बने प्राचीन शिवालय के आस-पास एक साथ 12 शिवालय स्थापित हैं। और इनकी खासियत ये है कि सभी में शिवलिंग स्थापित हैं।
महाभारत, रामायण काल से लेकर होलकर साम्राज्य का इतिहास समेटे ताप्ती नदी के इस घाट का नाम है नागझिरी। यहां कण-कण में भोलेनाथ बसते हैं। बुरहानपुर के बीच से गुजरती है सूर्य पुत्री मां ताप्ती। इसी पवित्र ताप्ती नदी का घाट है नागझिरी घाट। यहां प्राचीन काल से एक शिव मंदिर स्थापित है।
माना जाता है कि जहां ये प्राचीन शिव मंदिर है, वहां भगवान श्रीराम ने वनवास के दौरान अपने हाथों से शिव लिंग बनाकर स्थापित किया था। यही कारण है कि इस घाट को प्राचीन घाटों में गिना जाता है। यहां सावन के महीने में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
अहिल्याबाई होलकर ने बनवाए थे शिव मंदिर
मध्य प्रदेश के बुरहानपुर शहर के बीचों-बीच से गुजरने वाली ताप्ती नदी के सभी घाट प्राचीन शिव मंदिरों से शिवमय हैं। लेकिन नागझिरी घाट ऐसा घाट है, जहां 2 या 4 नहीं, बल्कि 12 शिव मंदिर बने हैं। बताया जाता है कि ये सभी 12 शिव मंदिर मां अहिल्याबाई होलकर ने स्थापित किए थे। Sawan Somvar 2024: सतपुड़ा की पहाड़ियों में क्यों छिपे थे भगवान शिव, फिर आदिवासियों ने खोजा ‘शिव धाम’ भगवान राम ने क्यों स्थापित किया था शिवलिंग
प्राचीन कथाओं के अनुसार भगवान श्रीराम वनवास के दौरान बुरहानपुर जिले से भी गुजरे थे। ताप्ती नदी के नागझिरी घाट पर उनके पिता महाराज दशरथ का श्राद्ध कर रेत की शिवपिंड बनाई थी। पूजन कर वह आगे की ओर निकले थे। इसलिए इस मंदिर का नाम रामेश्वर पड़ा। प्रदीप नाविक ने बताया कि मंदिर का रंग रोगन किया गया है। बड़ी संख्या में भक्त दर्शन करने आएंगे।
बुरहानपुर में कई प्राचीन मंदिर
ऐसे तो बुरहानपुर में कई ऐसे मंदिर है जो महाभारत और रामायण काल से बने हुए हैं। इनमें असीरगढ़ पर बना शिव मंदिर भी शामिल है। यहां अब भी किदवंती है कि अश्वतथामा आज भी हर दिन यहां आते हैं और हर सुबह ताजा फूल भगवान शिवजी को अर्पित करके जाते हैं। महाजनापेठ में गुप्तेश्वर मंदिर, सतियारा घाट पर बागेश्वर मंदिर, प्रतापपुरा में हाटकेश्वर मंदिर, बाइसाहब की हवेली पर एक साथ दो प्राचीन मंदिर और शाह बाजार में स्थित मंदिर भी प्राचीन मंदिरों में शामिल है।
कई मंदिर जीर्ण-शीर्ण, भक्त कर चुके हैं जीर्णोद्धार की मांग
कई मंदिर तो अब भी यहां अपनी प्राचीन सभ्यता और कलात्मकता के कारण भक्तों को अट्रैक्ट करते हैं। वहीं कुछ मंदिरों की हालत इतनी जीर्ण-शीर्ण है कि उन्हें देखकर भक्तों की आस्था को ठेंस पहुंचती है। भक्त प्रवीन नाविक बताते हैं कि इनके जीर्णोद्धार के लिए कई बार मांग की जा चुकी है। कई भक्त यहां पूजन के लिए आते हैं।