MP में सड़कें बनेंगी खुद की डॉक्टर, अपने आप भर जाएंगे गड्ढे, जानें क्या है रोड कंस्ट्रक्शन की ये तकनीक
Road Construction News: सेल्फ हीलिंग रोड कंस्ट्रशन प्रोसेस फॉलो करेगा लोक निर्माण विभाग (PWD), मध्य प्रदेश में अब एसफॉल्ट ब्लेंड मटेरियल के यूज से तैयार की जाएंगी सड़कें
Self Healing road Construction Technology से गड्ढे होते ही सड़क खुद-बा-खुद हो जाएगी रिपेयर।
MP Road Construction News: बारिश के मौसम में सड़क पर बड़ी संख्या में होने वाले गड्ढों से अब जल्द निजात मिल सकेगी। इसके लिए राजधानी की सड़कों पर सेल्फ हीलिंग तकनीक का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है।
इसके तहत स्टील फाइबर और फाइबर से बनी विशेष डामर का प्रयोग होगा। नेशनल हाइवे ने अपनी सड़कों के गड्ढों को भरने के लिए इसका उपयोग कर रहा है। प्रदेश में लोक निर्माण विभाग इस तकनीक को अपनाएगा।
ये है सेल्फ हीलिंग तकनीक
मध्य प्रदेश में इस्तेमाल की जाने वाली सेल्फ हीलिंग तकनीक (Self Healing Technology) में सड़क के डामरीकरण के लिए स्टील फाइबर के साथ एपॉक्सी कैप्सूल का उपयोग होता है। इसमें एसफॉल्ट ब्लेंड नाम के मैटेरियल का इस्तेमाल किया जाता है। एपॉक्सी कैप्सूल में रेसीन एक चिपचिपा पदार्थ होता है। इसमें पेंट में उपयोग किए जाने वाला हार्डनर मिला होता है।
स्टील फाइबर के साथ गर्माहट से पिघलकर ये दरारों-गड्ढों में फैलता है और उन्हें खुद ब खुद भर देता है। जब भी ऐसी सड़कों पर दरार गड्ढ़े बनते हैं, एक इंडक्शन मशीन से उस जगह पर गर्माहट देकर दरारों को भर दिया जाता है।
सेल्फ हीलिंग तकनीक का ये होगा फायदा
– डामर की नई रोड 1000 रुपए से 1500 रुपए प्रति मीटर की दर से बन जाती हैं। लेकिन बारिश में डामर की सड़कों पर गड्ढों की स्थिति बनने से इन्हें सीमेंट-कांक्रीट में बदलना पड़ता है। सीसी रोड भी प्रति मीटरॉ कम से कम 30 हजार से 33 हजार रुपए मीटर के हिसाब से तैयार होती हैं। जबकि सेल्फ हीलिंग में सड़क पर 33 गुना ज्यादा खर्च करना होगा।
-भोपाल में विभिन्न एजेंसियां सड़क रख-रखाव पर करीब 120 करोड़ रुपए सालाना खर्च करती हैं। बचे हुए 80 करोड़ रुपए से शहर के अन्य क्षेत्रों में नई सड़कें बन सकती हैं। – डामर की सड़कों को सीसी में बदलने पर अतिरिक्त समय और इससे होने वाली परेशानी और धूलकणों से बचा जा सकता है।