भोपाल। महीने भर पहले नोटबंदी लागू करने वाली केन्द्र सरकार आरबीआई एक्ट में भी संशोधन कर सकती है। इस संशोधन के जरिए 30 दिसम्बर तक बैंकों में जमा नहीं की गई पुरानी करेंसी की कानूनी देनदारी खत्म करने का फैसला लिया जा सकता है। माना जा रहा है कि ये कवायद महीने भर पहले 8 नवम्बर को सरकारी घोषणा के जरिए 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों पर आरबीआई की देनदारी कानूनी रूप से खत्म करने के लिए की जा रही है।
संसद का शीतकालीन सत्र 23 दिसम्बर को खत्म होने जा रहा है। अभी तक के सत्र में विपक्ष द्वारा नोटबंदी को लेकर किए जा रहे हंगामे के कारण कोई खास विधेयक पारित नहीं हो पाए हैं। बजट सत्र भी अगले साल जनवरी के आखिर में होगा, इस स्थिति में सरकार के पास ऐसा ऑर्डिनेंस पास कराना एक चुनौती की तरह सामने रहेगा।
माना जा रहा है कि 31 दिसंबर तक ऐसे अनुमान सामने आ जाएंगे कि रद्द किए गए कितने नोट बैंकों में नहीं लौटाए गए। तब उन नोटों पर आरबीआई की देनदारी खत्म करने का लीगल बैक-अप सरकार अध्यादेश के जरिए दे सकती है।
कानूनी रूप से तस्वीर साफ होने से आरबीआई उन नोटों को कैंसल कर सकेगा, जो बैंकों में नहीं लाए गए और सरकार फिर उतनी रकम का इस्तेमाल बजट में कर सकती है, जिसके 1 फरवरी को पेश किए जाने की संभावना है। अभी जो अनुमान आ रहे हैं, उनके मुताबिक 500 और 1000 के नोटों वाली 15 लाख करोड़ रुपये की करंसी का एक ठीकठाक हिस्सा बैंकों में नहीं आएगा।
हाल ही में नोटबंदी के साथ ही कालेधन पर नकेल कसने के बाद सरकार ने ऐसे लोगों को एक और मौका दे दिया है, जिसमें अकाउंट के बाहर की इन्कम पर 50 प्रतिशत टैक्स लगाने की बात गई थी। इस वॉलंटरी इनकम डिक्लेयरेशन स्कीम के जरिए काला धन रखने वालों के लिए सरकार ने सेटलमेंट का एक और मौका दे दिया था।
माना ये भी जा रहा है कि ऐसे में रद्द नोटों का कुछ और हिस्सा बैंकों से बाहर रह सकता है। अनुमान के मुताबिक, करीब 10 लाख करोड़ रुपये बैंकों में जमा हो चुके हैं, लेकिन इसके बाद भी 3 से 4 लाख करोड़ रुपये बाहर रह सकते हैं।
आरबीआई द्वारा जारी किए गए नोटों पर गवर्नर के हस्ताक्षर के साथ ये वादा किया जाता है कि उस नोट पर लिखी हुई रकम, उसे रखने वाले व्यक्ति को आरबीआई अदा करेगा। 8 नवम्बर को पीएम मोदी की 500 और 1000 के नोटों के लीगल टेंडर नहीं रह जाने की घोषणा के बाद ये भ्रम की स्थिति बन गई थी कि आरबीआई ये देनदारी खत्म कर सकता है।
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हालांकि इससे पहले केन्द्र सरकार संकेत दे चुकी है कि आरबीआई की देनदारी खत्म करने के लिए नोटिफिकेशन जारी करने से बात शायद न बने और उसे कानूनी चुनौती भी दी जा सकती है। आरबीआई के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव ने भी कहा था कि बैंकों में जमा नहीं किए गए नोटों पर अपना दावा साबित करने के लिए सरकार को कानून बदलने की जरूरत पड़ सकती है। वहीं ऐसे समय में जबकि नोटबंदी को लेकर हर तरफ हल्ला मच रहा है, माना जा रहा है कि सरकार कोई बड़ा कदम उठा सकती है।
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