scriptRakshabandhan 2023: महारानी अहिल्यादेवी होलकर का नेपाल नरेश से था खास रिश्ता, भेजा था मुंहमांगा ये खास तोहफा | Rakshabandhan 2023: Indore ki Maharani Ahilyadevi Holkar kaise manati thin rakhsabandhan desh ke har shasak ko bhejti thi rakhi nepal naresh haidrabad nijaam ne bhi bheja tha munh maanga tohfa | Patrika News
भोपाल

Rakshabandhan 2023: महारानी अहिल्यादेवी होलकर का नेपाल नरेश से था खास रिश्ता, भेजा था मुंहमांगा ये खास तोहफा

Rakshabandhan 2023 Interesting Facts related to Ahilyadevi Holkar:आपको बता दें कि आपकी तरह ही इंदौर की महारानी अहिल्यादेवी होलकर भी हर साल रक्षाबंधन का पर्व धूमधाम से मनाती थीं। न केवल अपने परिवार के साथ बल्कि देश के हर शासक की कलाई पर उनकी भेजी राखी सजती थी। यही नहीं नेपाल नरेश से लेकर हैदराबाद के क्रूर निजाम से भी उनका इतना ही खास रिश्ता था। है न इंट्रेस्टिंग…अगर हां तो जरूर पढ़ें पूरी खबर…

भोपालAug 26, 2023 / 02:04 pm

Sanjana Kumar

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Rakshabandhan 2023: रक्षाबंधन का पर्व इस बार 30 और 31 अगस्त को दोनों ही दिन मनाया जाएगा। बहनों और भाइयों दोनों को ही इस पर्व का बेसब्री से इंतजार रहता है। बहनें भाई के गिफ्ट की राह तकती हैं कि इस बार क्या मिलने वाला है, तो भाई कोई प्यारा सा मजाक खोजने में लगे रहते हैं कि कैसे वे रक्षाबंधन के दिन अपनी नटखट बहन को तंग करेंगे। प्यार जताने और रक्षा के वचन का यह पर्व हर कोई मनाने को तैयार हैं। आपको बता दें कि आपकी तरह ही इंदौर की महारानी अहिल्यादेवी होलकर भी हर साल रक्षाबंधन का पर्व धूमधाम से मनाती थीं। न केवल अपने परिवार के साथ बल्कि देश के हर शासक की कलाई पर अहिल्यादेवी होलकर की भेजी राखी सजती थी। यही नहीं नेपाल नरेश से भी अहिल्यादेवी होलकर का इतना ही खास रिश्ता था। है न इंट्रेस्टिंग…अगर हां तो जरूर पढ़ें पूरी खबर…

हैदरबाद के निजाम को भी कर दिया था विवश

देवी अहिल्याबाई ने क्रूर माने जाने वाले हैदराबाद के निजाम को भी अपने बेहद स्नेहशील व्यवहार के आगे झुकने को मजबूर कर दिया था। अहिल्याबाई ने जब निजाम को राखी भेजकर न केवल मित्र राज्य के रूप में अपने साथ कर लिया था, बल्कि निजाम ने जब बहन से तोहफा मांगने को कहा तो उन्होंने 12 ज्योतिर्लिंग में शामिल मल्लिकार्जुन और घृष्णेश्वर की महाशिवरात्रि के दिन सबसे पहली पूजा होलकर राजवंश की यजमानी में करने की अनुमति मांग ली। देश के सभी 12 ज्योतिर्लिंग की महाशिवरात्रि पर पहली पूजा होलकर राजपरिवार के द्वारा करने का अधिकार उन्होंने इसी तरह सभी शासकों से प्राप्त किया। यही नहीं, इसके साथ ही उन्होंने इन सभी शासकों से मालवा के मधुर संबंध बना लिए और मालव गणराज्य की सुरक्षा व्यवस्था बेहद पुख्ता और मजबूत कर ली।

 

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बहन ने मांगा था यह खास तोहफा

दरअसल, अहिल्यादेवी होलकर रक्षाबंधन पर देश के तमाम शासकों को रक्षासूत्र भेजा करती थीं। इस कड़ी में उन्होंने नेपाल के शासक को भी राखी भेजी। जब नेपाल नरेश ने बहन (अहिल्यादेवी होलकर) से कोई उपहार मांगने को कहा, तो अहिल्यादेवी होलकर ने बस इतना ही मांगा कि काठमांडू स्थित पशुपतिनाथ मंदिर में महाशिवरात्रि के दिन होने वाली पहली पूजा का अधिकार होलकर राजवंश को मिले। बहन की मांग को राजा ठुकरा न सके और इसकी स्वीकृति के साथ 11 पत्ती वाला बिल्वपत्र महेश्वर पहुंचा दिया।

नेपाल नरेश ने एक भाई के नाते दिया था ये खास तोहफा

इस बार आप महेश्वर जा रहे हैं, तो यहां किले में घूमते वक्त उस स्थान पर थोड़ा रुकें जहां अहिल्याबाई होलकर की गादी लगी हुई है। दरअसल यहां पास ही में बिल्वपत्र का एक वृक्ष है। उसे गौर से देखिएगा। इस बिल्वपत्री वृक्ष की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह तीन या पांच नहीं बल्कि पूरी 11 पत्तियों वाला बिल्व वृक्ष है। इसे अहिल्याबाई होलकर ने लगाया था। इसकी दूसरी बड़ी खूबी यह है कि इसे नेपाल के महाराजा ने अहिल्याबाई के लिए भेजा था और चौथी तथा अंतिम खास बात यह है कि यह वह भेंट थी, जिसे नेपाल नरेश ने एक भाई के नाते अपनी मुंहबोली बहन अहिल्याबाई को उपहार में दिया था।

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