असल में केंद्र और राज्य के बीच मेमोरेंडम एग्रीमेंट (एमओए) साइन हुए हैं। जिसमें एमपी ने केंद्र की उक्त रिफार्म शर्त को मानने की सहमति दे दी है। इसके अलावा केंद्र द्वारा बताए कई और सुधारों को मध्य प्रदेश ने मानने की सहमति दे दी है, जिसके आधार पर
भोपाल, इंदौर समेत अन्य शहरों में शहरी प्रधानमंत्री आवास योजना 2.0 गति पकड़ेगी।
असल में शहरी प्रधानमंत्री आवास योजना 2.0 के तहत केंद्र ने बड़े स्तर पर शहरी क्षेत्र के पात्र लोगों को आवास उपलब्ध कराने की शुरुआत की है। राज्यों से कहा है कि यदि वे अपने राज्य की जनता को रियायती आवास उपलब्ध कराना चाहते हैं तो जरूरी सुधार का पालन करना होगा। जिसमें सबसे बड़ी शर्त मास्टर प्लान के दायरे में रहकर उक्त आवास बनाने की शर्त शामिल है।
केंद्र ने शहरों को झुग्गी मुक्त बनाकर उन्हें व्यवस्थित विकास के दायरे में लाया जा सके। इसके लिए राज्य को शहरों में अलग-अलग जोन चिह्नित करने होंगे, वहां उक्त योजना के तहत काम होंगे और हितग्राहियों को आवास उपलब्ध कराए जाएंगे।
बन गई सहमति
0-परियोजनाओं को मास्टर प्लान में शामिल करना होगा। 0-पात्र हितग्राहियों को वैधानिक शुल्क में अधिकतम छूट देनी होगी। 0-स्टाम्प शुल्क, पंजीकरण शुल्क में छूट को जारी रखना होगा। 0-परियोजनाओं में हरित क्षेत्र के दायरे को बढ़ाना होगा। 0-निर्माण संबंधी अनुमतियां आवेदन के 60 दिन में। 0-पांच प्रतिशत आवास ईडब्ल्यूएस, एलआइजी बनाने की शर्तों का पालन। 0-आवास खरीदने, निर्माण करने वाले भूमिहीन हितग्राहियों को पट्टा भूमि के दस्तावेज देने होंगे।