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प्लास्टिक की बोतलों पर होता है एक खास कोडवर्ड, सेहत से होता है उसका गहरा नाता

प्लास्टिक की बोतल पर दिए गए इस तरह के कोड का अर्थ जानते हैं आप?

भोपालJun 25, 2019 / 02:21 pm

Faiz

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प्लास्टिक की बोतलों पर होता है एक खास कोडवर्ड, सेहत से होता है उसका गहरा नाता

भोपालः प्लास्टिक की बोतल ( Plastic Bottle ) या कंटेनर के निचले हिस्से पर एक खास तरह का कोड दिया जाता है। ये कोड अलग-अलग संख्याएं बौतल या कंटेनर पर चस्पा होता है, जो खरीदार ( customer ) के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है। लेकिन, हैरानी की बात ये है कि, जिस कोड के माध्यम से ग्राहक को एक खास तरह की जानकारी दी जाती है, उस कोड के उद्देश्य के बारे में सिर्फ कुछ लोग ही जानते हैं। इसमें कई तरह की स्ख्याएं होती हैं, जैसे 1, 2, इत्यादि। दरअसल, कंपनी इस कोड के माध्यम से किसी भी प्रोडक्ट ( product ) के इस्तेमाल से जुड़ी खास जानकारी ग्राहक को मुहैया कराता है, जिससे जागरुक ग्राहक को ये पता चलता है कि, ये प्रोडक्ट कितने समय तक उपयोगी ( product expiry date ) है। प्लास्टिक से बने सामान ( plastic material ) को कब तक इस्तेमाल करना चाहिए आदि।

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कब तक किया जा सकता है संबंधित चीजों का इस्तेमाल

जैसा कि, हम सब जानते हैं कि, दिन ब दिन प्लास्टिक का इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है। खाने के बर्तन हो या कुछ भी सामान स्टोर करने का कंटेनर या फिर पानी स्टोर करने के इस्तेमाल में आने वाली बोतल भी प्लास्टिक से ही बन रही है। एक या 2 लीटर में कोल्ड ड्रिंक्स की कई कंपनियां प्लास्टिक की बोतल में ही किया जाता है। इन बोतलों को बनाने के बाद से इस्तेमाल होने तक महीनों का समय भी लग जाता है।हम इन बोतलों में पेक्ट चीजों को बड़े चाव से खरीदते हैं, साथ ही इसे बिना किसी परवाह के इस्तेमाल भी करते हैं। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि इन प्लास्टिक की बोतलों का इस्तेमाल कब तक किया जाना उचित होता है। इन बोतलों में पानी या अन्य खाद्य पदार्थों को रखने की सुरक्षित अवधि कितनी है। शायद वहीं, तो चलिए इस लेख के माध्यम से हम जानते हैं कि, आखिर प्लास्टिक की इन चीजों में रखी जाने वाली चीज़ हमारी सेहत के लिए कितने समय तक नुकसान दे नहीं है।

 

जानिए क्या है रेज़ीन आइडेंटीफिकेशन कोड ( Resin Identification Code, RIC ) ?

आपको बता दें कि, रेज़ीन ( resin ) का अर्थ राल या वो पदार्थ होता है, जिससे प्लास्टिक की कोई खास चीज़ बनाई गई हो। यानी कि प्लास्टिक कई प्रकार के पदार्थों या रेज़ीन से बन सकता है और उसका आइडेंटीफिकेशन कोड ( Identification Code ) का मतलब उसकी पहचान करने से होता है। इस कोड के ज़रिये से बोतल की क्वालिटी और उसके इस्तेमाल के बारे में जाना जाता है। ये भी जान लीजिए कि, इस कोड को सोसायटी ऑफ द प्लास्टिक्स इंडस्ट्री द्वारा पेश किया गया था जो संयुक्त राज्य अमेरिका का तीसरा सबसे बड़ा विनिर्माण क्षेत्र है, RIC अब आधिकारिक तौर पर ASTM इंटरनेशनल, एक अंतरराष्ट्रीय मानक संगठन द्वारा प्रशासित किया जा रहा है। आरआईसी कोड इसलिए भी महत्व रखता है क्योंकि, किसी भी प्लास्टिक मटेरियल को बनाने में कई तरह के टॉक्सिक और जहरीले केमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है। इन केमिकल्स से जुड़ी जानकारी का उल्लेख हर बोतल पर नहीं किया जा सकता इसलिए बोतल पर एक कोड देकर उससे संबंधित जानकारी इंटरनेट पर उप्लब्ध की जाती है, ताकि, बोतल के बारे में जाना जा सके।

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अलग अगल प्लास्टिक क्वालिटी पर इस्तेमाल होता है 1 से 7 तक कोड

यह कोड जानकारी देता है कि खतरे वाले रेज़ीन या खतरे वाले प्लास्टिक कौन-कौन से हैं. टोटल कोड 1 से लेकर 7 तक दिए जाते हैं. वहीं 1 से लेकर 6 तक कोड किसी स्पेसिफिक ‘प्लास्टिक पॉलीमर’ की पुष्टि करता है और कोड 7 एक सामान्य श्रेणी का होता है, जो उन सभी प्रकार के प्लास्टिक मटरियल की जानकारी देता है जो 1 से 6 की श्रेणी में नहीं आते। इस कोड के बारे में जानकर आप हर तरह के प्लास्टिक का उपयोग और उसकी सीमाओं के बारे में समझ सकते हैं। साथ ही आप प्लास्टिक द्वारा होने वाली हानि से बच सकते हैं। तो आइये जानते हैं 1 से 7 उन सभी कोडों का उद्देश्य।


-कोड 1

PET या PETE ( polyethylene terephthalate ) के बारे में कोड नं 2 बताता है। ज्यादातर इसी प्लास्टिक मटेरियल का इस्तेमाल किया जाता है। इसे आप पानी की बोतलों के रूप में इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले, गिटार, पियानो वगैरह की फिनिशिंग के लिए भी इस ‘प्लास्टिक पॉलिमर’ का इस्तेमाल होता है। PET छिद्रपूर्ण, बैक्टीरिया और अवशिष्ट पदार्थों को इकट्ठा करने की प्रवृत्ति वाला होता है, जिसका अर्थ है कि इस प्लास्टिक का लंबे समय तक उपयोग करना हानिकारक हो सकता है। यदि लंबे समय तक इन कंटेनर्स में कोई द्रव रखा जाए तो एंटीमनी नाम का एक पदार्थ रिसने लगता है, जिससे सेहत को नुकसान हो सकता है। PET को ‘सिंगल यूज़’ या ‘यूज़ एंड थ्रो’ प्लास्टिक माना जाता है, जो सेहत के लिए काफी हानिकारक हो सकता है।

 

-कोड 2

HDPE या high density polyethylene का प्रतिनिधित्व कोड नं 2 करता है। इसका अर्थ है कि व्यंजन उच्च घनत्व पॉलीथीन से बने होते हैं। इसके मटीरियल को अधिकतर पॉलीथीन में इस्तेमाल किया जाता है, क्यूंकि ये सस्ता होने के साथ साथ बनाने में आसान भी होता है। इन प्लास्टिक बैग्स में किराना, दूध, पानी और जूस के कंटेनर्स बनाना इत्यादि। इसे स्टोर करने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है क्योंकि इनमें लीचिंग का कम जोखिम होता है और आमतौर पर रीसाइक्लिंग किया जा सकता है।


-कोड 3

PVC or polyvinyl chloride का प्रतिनिधित्व कोड नं 3 करता है। ये प्लास्टिक पॉलीविनाइल क्लोराइड से बना होता है। हम में से अधिकांश PVC पाइप जो कि प्लंबिंग और अन्य ऐसे उद्देश्यों के लिए उपयोग की जाने वाली ट्यूबों से काफी परिचित हैं। पीवीसी काफी कठिन और रफ़ होती है, इसे खाने के सामान पकाने या उन्हें स्टोर करने के ठीक नहीं माना जाता। खतरनाक होने के बावजूद भी इसका इस्तेमाल खिलौनों, शैंपू की बोतल, माउथ वॉश की बोतल, डिटर्जेंट और क्लीनर की बोतल, खून की बोतल, खिड़की के फ्रेम वगैरह में किया जाता है।


-कोड 4

LDPE या low density polyethylene का प्रतिनिधित्व कोड नं 4 करता है। ये कम घनत्व वाले पॉलीथीन से बने उत्पाद के लिए बनता है। इस प्रकार का प्लास्टिक आमतौर पर विभिन्न फिल्मों, पैकेजों, खाद्य और दवा उत्पादों की पैकेजिंग के निर्माण के लिए इस्तेमाल होता है। LDPE की रासायनिक संरचना के कारण ये ज्यादा से ज्यादा फ्लेक्सिबल और पतले बनाए जा सकते हैं। इसलिए ब्रेड, किराना, अख़बारों, आदि में इसकी पतली फ़िल्म का उपयोग किया जाता है। हालांकि, इस तरह के प्लास्टिक को नियमित भंडारण के उपयोग के लिए व्यापक रूप से सुरक्षित माना गया है, लेकिन इसे आमतौर पर रीसाइक्लिंग के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाता।


-कोड 5

PP या polypropylene का प्रतिनिधित्व कोड नं 5 करता है। इस प्रकार के व्यंजन प्रो-पॉलीप्रोपाइलीन से बने होते हैं। इसे प्लास्टिक कंटेनरों का उत्पादन में इस्तेमाल किया जाता है। जैसे दही का कप, कुछ पानी की बोतलें, केचप की बोतलें और दवा के कंटेनर इत्यादि। व्यंजन गर्मी प्रतिरोधी और उबलते प्रतिरोधी भी हैं। इसकी खूबी होती है कि, ये सामग्री के गुण भी नहीं बदलने देती। ऐसे उत्पादों में, आप माइक्रोवेव ओवन में भोजन को गर्म कर सकते हैं या उनसे गर्म पानी या पेय पदार्थों को भी पी सकते हैं।

 

-कोड 6

PS या polystyrene या Styrofoam का प्रतिनिधित्व कोड नं 6 करता है। डिस्पोजेबल प्लास्टिक कप, प्लेट्स, अंडे के कार्टून, पैकेजिंग, बाइक हेलमेट और यूज़ एंड थ्रो प्लेट्स वगैरह के लिए इस प्रकार की प्लास्टिक का इस्तेमाल किया जाता है। मांस और मछली के उत्पादों को पैक करने के लिए भी इसका इस्तेमाल होने लगा है। हालांकि, हाल ही में इसे बेहद खतरनाक माना गया है, क्योंकि ये संभावित जहरीले रसायनों को खासकर गर्म होने पर स्रावित करती है। इसलिए इस प्रकार के कंटेनर को कभी भी गर्म नहीं करना चाहिए क्योंकि गर्म करने पर ये अपना आकार खो देता है। साथ ही, हानिकारक पदार्थों को छोड़ने लगता है। इस तरह का प्लास्टिक रीसायकल भी नहीं किया जाता। यानी पॉलिस्टेयरन में से स्टेरिन का रिसाव हो सकता है। इसे कैंसर का कारण भी माना गया है।


-कोड 7

मूल रूप से कोड नं 7 उन प्लास्टिक का प्रतिनिधित्व करता है जिनका जिक्र ऊपर नहीं है। बल्कि इस प्रकार के प्लास्टिक में बचे हुए सारे प्लास्टिक्स आ जाते हैं या फिर कुछ नए खोजे गए प्लास्टिक। इस प्रकार वाले प्लास्टिक में कभी-कभी PC भी लिखा होता है जिसका अर्थ है पॉलीकार्बोनेट। ये बिस्फेनॉल A (बीपीए) का स्राव करता हैं, जो कैंसर के खतरे सहित कई प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभावों को बढ़ा देने का सामर्थ्य रखते हैं। कहा जाता है कि इस तरह के प्लास्टिक को अपने रिस्क पर इस्तेमाल करना चाहिए। खाद्य पदार्थों को स्टोर करने के लिए इसका इस्तेमाल नहीं करने पर प्रतिबंध है।

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