ओशो की लाइफ स्टाइल से लेकर उसके आश्रमों के बारे में आज भी लोग जानने को उत्सुक रहते हैं। ऐसी ही ओशो से जुड़ी कुछ बातें जल्द ही दुनिया के सामने नजर आने वाली है। ओशो के बचपन से लेकर मृत्यु तक की कहानी जल्द ही पर्दे पर नजर आने वाली है।
आमिर खान बनना चाहते हैं ओशो
बॉलीवुड के अभिनेताओं को लेकर ओशो पर एक फिल्म बनाने की तैयारी है। इसके लिए आमिर खान जैसे कलाकार भी ओशो की भूमिका में नजर आ सकते हैं, हालांकि उन्होंने बाद में ओशो की भूमिका निभाने से मना कर दिया था, लेकिन बाद में उन्होंने फिर से इच्छा जताई थी। हालांकि यह संशय ही है कि ओशो की भूमिका कौन सा किरदार निभाएगा। हाल ही में एक इंटरव्यू में उन्होंने डायरेक्टर शकुन बत्रा से ओशो बायोपिक के बारे में बात की थी। हालांकि, इसके बाद चीजें आगे नहीं बढ़ीं। पर लोगों को उम्मीद है कि यह फिल्म जल्द आएगी और कुछ रहस्यों से पर्दा उठाएगी।
ओशो पर कमर्शियल फिल्म
ओशो ने अपने जीवित रहते हुए यह कहा था कि यदि कभी जिंदगी पर फिल्म बने तो उसमें जीवन के घटनाक्रमों का हिस्सा केवल 30 फीसदी हो और मेरा संदेश 70 फीसदी, लेकिन ओशो फिल्म से लोगों को कुछ और उम्मीद है। ओशो के संदेश और उनके विचारों से जुड़ी डॉक्यूमेंट्री पहले भी बन चुकी हैं। ऐसा पहली बार ही होगा जब एक कमर्शियल फिल्म ओशो पर बनाई जाएगी। इसकी भी संभावना ज्यादा है कि ओशो के जीवन के कई घटनाक्रम जो दुनिया को सुनने को नहीं मिले हो, वो शायद सामने आ सके।
रहस्यों से भरी थी ओशो की दुनिया
ओशो के करीबी लोग भी कहते थे कि उनकी दुनिया की रहस्यों से भरी थी। जबकि विवादास्पद और दिलचस्प भी थी। एक प्रोफेसर से भगवान रजनीश बनने तक का ओशो का सफर कई मायनों में आश्चर्यचकित करने वाला था। कुछ माह पहले ही नेटफिल्क्स पर भी ओशो को लेकर एक डॉक्यूमेंट्री ड्रामा आया था, जिसे लोगों ने काफी पसंद किया था।
ओशो पर एक नजर
-मध्यप्रदेश के रायसेन जिले के कुचवाड़ा में ( osho birth anniversary 11 December 1931 ) को जन्मे थे ओशो।
-रायसेन जिले के कुचवाड़ा में जन्मे रजनीश का असली नाम चंद्रमोहन जैन था।
-दर्शन शास्त्र के प्रोफेसर रहे ओशो का आध्यमिक सफर शुरू हो चुका था।
-ओशो रजनीश सागर यूनिवर्सिटी में पढ़ाते थे। उस समय जब सागर यूनिवर्सिटी मकरोनिया स्थित बेरिकों में संचालित होती थीं, तब ओशो रात में ध्यान करने पहाड़ियों पर पहुंच जाते थे।
-फिर ओशो बनने का सफर यहीं से शुरू हुआ था।
-ओशो के घर में 11 भाई-बहन थे, जिसमें ओशो ही थे जो अपनी मां को भाभी कहते थे।
-वे अपनी नानी को मां कहते थे।
-1970 में ओशो कुछ समय के लिए मुंबई में रुके।
-उन्होंने वहां अपने शिष्यों को नव संन्यास की शिक्षा दी।
-1974 में ‘पूना’ पहुंचने के बाद उन्होनें एक आश्रम की स्थापना की, यहां पर भी विदेश से आने वाले शिष्यों की संख्या बढ़ते जा रही थी, जिसके बाद वह अमेरिका पहुंच गए। अमेरिका में ही रजनीश के शिष्यों और अनुयायियों ने रजनीशपुरम की स्थापना की थी।
-19 January 1990 में ओशो का निधन हो गया था।