यह बातें मुंबई के डॉक्टर आलोक मोदी ने कही हैं। उन्होंने शहर में आयोजित कार्यशाला में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इन मेडिसीन’ विषय पर व्याख्यान दिया। मधुमेह और हृदय रोग पर आयोजित यह 22वीं राष्ट्रीय कार्यशाला हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. पीसी मनोरिया द्वारा आयोजित की गई। डॉ. मोदी ने कहा कि 24 घंटे मधुमेह की मॉनिटरिंग से व्यक्ति को यह पता होता है कि किस वजह से कितनी मधुमेह बढ़ेगा। इससे व्यक्ति रोग को ज्यादा बेहतर तरीके से कंट्रोल कर सकता है।
कैमरे में देखकर पता चलेगी रेटिना की सेहत
डॉ. मोदी ने बताया कि एआइ वर्तमान में कई तरीकों से हमारी मदद कर रहा है। वह खुद अपने अस्पताल में मरीज के रेटिना की जांच मोबाइल कैमरे के जरिए कर रहे हैं। रेटिना को स्कैन करने के लिए वह एक एआइ बेस्ड एप का इस्तेमाल करते हैं। जो अब तक आई स्पेशलिस्ट आंखों में एक खास प्रकार का आई ड्रॉप डालकर पुतलियों को फैलाते थे। इसके बाद रेटिना माइक्रोस्कोप में साफ तरीके से देखा जा सकता था।
कौन सी दवा न खाएं जानकारी देगा एआइ
डॉ. मोदी ने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बेस्ड एक अन्य एप भी तैयार किया गया है। जिसमें देश और दुनिया की 300 से ज्यादा रिसर्च पेपर से ली गई जानकारी फीड की गई है। इस एप की खासियत यह है कि यदि किसी मरीज को डॉक्टर ने चार से पांच दवाई लिखी हैं। ऐसे मरीज पर्चे को स्कैन करके यह देख सकते हैं कि कौन सी दवा एक साथ खाई जा सकती और कौन सी नहीं खानी चाहिए। सबसे खास बात तो यह है कि एआइ को इंसानों ने बनाया है और वह इंसानों की जगह कभी नहीं ले सकता है। जितनी भी एप और जितनी भी आई असिस्टेंट मिल रही है उसके लिए एक्सपर्ट की निगरानी बेहद जरूरी है। हर तकनीक में खामियां आने की संभावना हमेशा रहती है।