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15 दिसंबर की रात से नहीं होंगे कोई भी शुभ काम

15th December: 15 दिसंबर की रात से 14 जनवरी 2025 तक नहीं होंगे कोई भी शुभ काम

भोपालDec 03, 2024 / 01:29 pm

Astha Awasthi

15th December

15th December

15th December: आने वाली 15 दिसंबर की रात से कोई भी शुभ काम नहीं होंगे। जानकारी के लिए बता दें कि 15 दिसंबर से मलमास की शुरुआत हो रही है। मलमास को खरमास के नाम से भी जाना जाता है। मलमास को अशुभ और अशुद्ध महीना माना जाता है और इस दौरान विवाह आदि जैसे मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। सूर्य द्वारा बृहस्पति की राशि धनु राशि या मीन राशि में प्रवेश करने पर मलमास या खरमास लगता है।
मलमास की शुरुआत भले ही साल 2024 के आखिरी महीने में हो रही है, लेकिन इसकी समाप्ति 14 जनवरी 2025 में होगी। सूर्य द्वारा धनु राशि से निकलकर जब दूसरी राशि में प्रवेश किया जाएगा तो मलमास समाप्त हो जाएगा। ज्योतिर्विद पं. अजय कृष्ण शंकर व्यास ने बताया कि मलमास के दौरान शुभ कार्य नहीं करने चाहिए। इनमें नया घर खरीदना या गृह प्रवेश मना है। नए व्यापार की शुरुआत न करें। शादी, मुंडन, जनेऊ, सगाई आदि कार्य न करें। 16 संस्कारों वाले कार्य करने की मनाही है।
उन्होंने बताया कि मलमास के दौरान क्या प्रतिदिन सूर्य को जल अर्पित करें। पशु पक्षियों की सेवा करें। भगवान विष्णु और तुलसी पूजा करें। जप, तप और दान का भी खास महत्व है। गंगा या अन्य पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। मलमास के दौरान हर गुरुवार केले का दान करें।

मलमास की कथा: सूर्य के रथ की धीमी गति

मार्कण्डेय पुराण के अनुसार, सूर्य देव अपने सात घोड़ों के रथ पर ब्रह्मांड की अनवरत परिक्रमा करते हैं। उनके रथ के घोड़े निरंतर यात्रा के कारण प्यास और थकान से व्याकुल हो गए। सूर्य देव, जो कभी विश्राम न करने की प्रतिज्ञा कर चुके थे, उन्हें राहत देने का उपाय सोचने लगे। एक दिन उन्होंने एक तालाब के पास दो गधों (खर) को देखा। उनके मन में विचार आया कि जब तक घोड़े पानी पीकर विश्राम करते हैं, इन गधों को रथ में जोता जा सकता है। उन्होंने अपने सारथि अरुण को ऐसा करने का आदेश दिया।
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कैसे हुआ खर मास का जन्म

गधे रथ को खींचने लगे, लेकिन उनकी मंद गति के कारण सूर्य का तेज कम हो गया। इस धीमी गति के कारण यह अवधि ’’खर मास’’ कहलाने लगी। यह अवधि साल में दो बार आती है। जब सूर्य धनु राशि में होता है तथा जब सूर्य मीन राशि में होता है।

खर मास के प्रभाव

इस दौरान सूर्य का तेज पृथ्वी के उत्तरी गोलार्द्ध पर पूरी तरह नहीं पड़ता, जिससे इसे अशुभ माना जाता है। गृह-प्रवेश, विवाह, और अन्य मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं, लेकिन इस समय सूर्य और बृहस्पति की आराधना विशेष फलदायी मानी जाती है।

मलमास और खर मास का अंतर

ध्यान देने योग्य है कि खर मास और मलमास अलग-अलग होते हैं। सूर्य के धनु और मीन राशि में आने पर खर मास होता है, जो साल में दो बार आता है। मलमास का संबंध चंद्रमा के चक्र से है। यह कथा सूर्य देव की निरंतरता, दया, और मानव के शुभ-अशुभ विचारों की झलक प्रदान करती है।

भीष्म पितामह की प्रतीक्षा

गुरुण पुराण के अनुसार, खर मास में प्राण त्यागने पर सद्गति नहीं मिलती। महाभारत काल में भीष्म पितामह ने भी खर मास के दौरान अपने प्राण त्यागने से इनकार किया और सूर्य के उत्तरायण होने का इंतजार किया।

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