कब-किसकी कैसे बदली सत्ता: सिंहस्थ का इतिहास बहुत लंबा है। मध्यप्रदेश में अप्रैल-मई 1968 में सिंहस्थ कुंभ पड़ा। इस दौरान गोविंद नारायण सिंह मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री थे। लेकिन सिंहस्थ कुंभ के आयोजन के बाद गोविंद नारायण सिंह को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा औऱ उनके हाथों से प्रदेश की सत्ता बदल गई।
मार्च-अप्रैल 1980 में सिंहस्थ हुआ। इस दौरान राज्य में जनता पार्टी की सरकार थी और सुंदरलाल पटवा मुख्यमंत्री थे। लेकिन कुंभ मेले के बाद वो एक महीने तक भी मुख्यमंत्री नहीं रह पाए और उनकी सरकार चली गई।
1992 का सिंहस्थ इस दौरान भी सुंदरलाल पटवा सीएम थे। बाबरी मस्जिद ढहने के कारण बीजेपी शासित प्रदेशों में 16 दिसंबर 1992 को रातों-रात सरकार बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। प्रदेश में 6 दिसंबर 1993 तक राष्ट्रपति शासन रहा। इसके बाद 7 दिसंबर 1993 को कांग्रेस के दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री बने।
अप्रैल-मई 2004 में सिंहस्थ: 2004 में सिंहस्थ की तैयारी 2003 में मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने शुरू की लेकिन 2003 में हुए कुंभ में उनकी पार्टी विधानसभा चुनाव हार गई और भाजपा की सरकार बनी। बतौर मुख्यमंत्री उमा भारती ने 2004 में सिंहस्थ का आयोजन किया लेकिन उसके बाद वो ज्यादा दिनों तक मध्यप्रदेश की मुख्यमंत्री नहीं रह सकीं और 1994 में हुए हुबली दंगा मामले में कर्नाटक की कोर्ट से अरेस्ट वारंट जारी होने के कारण उन्हें 23 अगस्त 2004 को इस्तीफा देना।
क्या है इतिहास: उज्जैन का सिंहस्थ मानक स्नान पर्व के रूप में मनाया जाता है। सिंहस्थ हर 12 साल बाद पड़ता है। ऐसी मान्यता है कि जब बृहस्पति सिंह राशि में प्रवेश करता है तब सिंहस्थ पर्व का आयोजन होता है। इस दौरान लोग शिप्रा नदी में स्नान करते हैं। सिंहस्थ पर्व का आयोजन महाकाल की नगरी उज्जैन में किया जाता है।