कुछ रूट फाइनल भी कर दिए गए हैं। अभी 31 जिलों में एयरपोर्ट या हवाई पट्टी हैं। ज्यादातर उपयोग के लायक हैं। जो उपयोग के लायक नहीं हैं, उन्हें सुधारने पर काम हुआ है। 24 से ज्यादा स्थान ऐसे हैं, जहां चरणबद्ध तरीके से हवाई पर्यटन शुरू करने की योजना है। इस पर निजी सेक्टर के साथ मिलकर सरकार काम कर रही है। एयर ट्रैफिक का अनुमान लगाकर रूट फाइनल किए जा रहे हैं।
MP में हवाई पर्यटन के तीन अहम चरण
1. यहां शुरू हो चुका सफर
भोपाल,
इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, ओंकारेश्वर, खजुराहो, रीवा,
उज्जैन व पचमढ़ी और रीवा एयरपोर्ट। इन जगहों के लिए मार्च में पीएमश्री पर्यटन वायु सेवा व पीएमश्री धार्मिक पर्यटन हेली सेवा का शुभारंभ हुआ था। बीते महीने रीवा एयरपोर्ट का लोकार्पण हुआ।
2. यहां चल रहा काम
सिंगरौली हवाई पट्टी का विस्तार। उज्जैन में हवाई पट्टी को एयरपोर्ट बनाने की मंजूरी। पन्ना में हवाई पट्टी शुरू हो चुकी है। सागर जिले में ढाना एयरपोर्ट मंजूर। देवास में कार्गो सुविधा के साथ एयरपोर्ट। करीब दस शहरों की हवाई पट्टी के विकास का काम चल रहा है। इसे पीपीपी मोड पर किया जाना है।
3. अब यहां की बारी, शुरू की तैयारी
धार्मिक क्षेत्र में मैहर, ओरछा, चित्रकूट, सलकनपुर, नलखेड़ा, देवास चामुंडा माता टेकरी, दतिया पीताबंरा पीठ, रतनगढ़ माता मंदिर इत्यादि। इन पर्यटन स्थलों में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व(bandhavgarh tiger reserve), कूनो नेशनल पार्क(Kuno Nartional Park), माधव नेशनल पार्क(Madhav National Park), कान्हा (Kanha tiger reseve) और पेंच टाइगर रिजर्व (Pench tiger Reserve) भी शामिल हैं।
सूबे का हवाई नक्शा (MP Aerial Map)
-रतलाम, नीमच, उज्जैन, मंदसौर, बालाघाट, छिंदवाड़ा, उमरिया, रीवा, शिवपुरी, सागर, गुना, सिवनी और दतिया की सरकारी हवाई पट्टी पायलट प्रशिक्षण व अन्य व्यावसायिक गतिविधि के लिए दे रखी हैं। इससे 1.60 करोड़ रुपए सालाना औसतन मिलते हैं। -रीजनल कनेक्टिविटी योजना के तहत हर बड़े शहर के एयरपोर्ट को आसपास सर्कल से कनेक्टिंग हवाई सेवा के जरिए जोडऩा तय किया है। अभी प्रमुख शहर जुड़ चुके हैं। -प्रमुख एयरपोर्ट
भोपाल, इंदौर, जबलपुर,
ग्वालियर, खजुराहो हैं। इंदौर, भोपाल में एयर ट्रैफिक ज्यादा है।
वेंचुरा हो चुकी है फेल
वर्ष 2011 में वेंचुरा कंपनी ने छोटे शहरों के लिए हवाई सुविधा दी थी, लेकिन प्रयोग फेल हो गया था। तब भोपाल को इंदौर, जबलपुर और अन्य शहरों से जोड़ा गया था। सरकार अनुबंध के तहत तय भुगतान देती थी, लेकिन यात्रियों की कमी के चलते सेवा बंद हो गई। अभी एयर ट्रैफिक की समस्या शुरुआत में ही आ रही है।
टूरिज्म को बढ़ावा देने पीपीपी मोड पर चल रहा काम
प्रमुख धार्मिक पर्यटन स्थलों और अन्य प्रमुख पर्यटन स्थलों तक हवाई सेवा को लेकर पीपीपी मोड पर काम चल रहा है। अगले चरण के तहत कुछ और शहरों में हवाई सेवा शुरू होगी।