खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग ने गेहूं के खराब होने के लिए उस भारतीय खाद्य निगम को भी जिमेदार ठहराया है, जिसके द्वारा वर्षवार खरीदे गेहूं में से खराब हुए गेहूं का ब्यौरा सरकार के सामने लाया गया था। आरोप लगाए कि एफसीआइ ने गोदामों से समय पर गेहूं का उठाव नहीं किया।
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यही नहीं, विभाग ने खुद के बचाव में बेमौसम बारिश व तूफान को भी जिमेदार ठहराया है। असल में 10.64 लाख मीट्रिक टन गेहूं प्रभावित हुआ है, इसमें से कुछ तो गोदामों में सड़ रहा है। इनमें कुछ क्विंटल गेहूं उचित मूल्य की दुकानों पर भी भेजा जा चुका है। पत्रिका ने इसका खुलासा किया था।
मंत्री ने दिए थे सत कार्रवाई के निर्देश
खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने खराब गेहूं के लिए जिमेदारों के खिलाफ बीते सप्ताह सत कार्रवाई के निर्देश दिए थे। जिसके बाद निजी गोदाम संचालकों के किराए की राशि का भुगतान रोका। हालांकि अनफिट व खराब गेहूं से सरकार को होने वाले हजारों करोड़ के नुकसान की भरपाई कौन करेगा, यह तय नहीं है। विशेषज्ञों की माने तो किराए की रोकी राशि गेहूं की कीमत के आगे कुछ भी नहीं है।