कमल नाथ सरकार के मंत्रियों की शिक्षा पर सवाल
कमल नाथ सरकार के कई मंत्रियों की शिक्षा पर सवाल खड़े हो चुके हैं। हाल ही भोपाल में प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी ने मंच से कहा कि उन्हें इंग्लिश नहीं आती है। जिस कार्यक्रम में जीतू पटवारी ने ये बात कही थी उस मंछ पर कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि भी मौजूद थे। इसके बाद भी वो अपनी बात अंग्रेजी में नहीं रख पाए थे। वहीं, प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी तो स्वतंत्रता दिवस पर मुख्यमंत्री का भाषण नहीं पढ़ पाईं थीं। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि मध्यप्रदेश के विधायक कितने पढ़ें लिखे हैं।
मध्यप्रदेश में 230 विधानसभा सीटें हैं। मौजूदा समय में 229 विधायक हैं जबकि झाबुआ विधानसभा सीट भाजपा विधायक जीएम डामोर के इस्तीफे के बाद खाली है। सांसद बनने के बाद जीएस डामोर ने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था। मध्यप्रदेश में 67 फीसदी विधायक ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट हैं। 69 विधायक ऐसे हैं जो, साक्षर, पांचवी, आठवीं, 10वीं और 12वीं पास हैं।
13 विधायक 10 वीं पास
07 विधायक 8वीं पास
07 विधायक 5वीं पास
05 विधायक केवल साक्षर
56 विधायक ग्रेजुएट
57 विधायक पोस्ट ग्रेजुएट
39 विधायक ग्रेजुएट प्रोफेशनल
03 डॉक्टरेट
05 डिप्लोमा व अन्य डिग्री
01 ने जानकारी नहीं दी।
229 में से 102 विधायक ऐसे हैं जिन्हे पिछली बार लैपटॉप मिल चुका है। शुरुआती दौर में लैपटॉप की कीमत 25 हजार रुपए तय की गई। 14वीं विधानसभा विधायकों की मांग पर लैपटॉप की कीमत में 10 हजार रुपए का इजाफा किया गया। अब 15वीं विधानसभा में भी इसकी कीमत बढ़ाए जाने का दबाव है।
मध्यप्रदेश में विधायकों को लैपटॉप देने का क्रम वर्ष 2008 से शुरू हुआ था। इसका मकसद यही था कि विधायक अपना काम बेहतर ढंग से कर सकें। तब से हर विधानसभा में विधायकों को लैपटॉप का तोहफा मिलता है।
विधायक चाहते थे कि उन्हें कम से कम 50 हजार रुपए कीमत का लैपटॉप मिले। विधायकों के प्रस्ताव पर विधानसभा की समिति ने मुहर लगा दी थी और यही प्रस्ताव संसदीय कार्य विभाग भेज दिया गया था। संसदीय कार्य विभाग ने दो प्रस्ताव तैयार किए। पहला प्रस्ताव था कि जो विधायक पिछली विधानसभा में लैपटॉप ले चुके हैं, उन्हें यह लाभ न मिले और दूसरा प्रस्ताव सभी को इसका लाभ दिया जाना था। दूसरे प्रस्ताव पर सहमति बनी। हालांकि, 50 हजार रुपए कीमत का लैपटॉप देने के लिए वित्त विभाग सहमत नहीं है।
विधानसभा सचिवालय ने वर्ष 2013 से ऑनलाइन काम-काज की शुरुआत कर दी थी। शुरुआत में विधानसभा और मंत्रालय के बीच ऑनलाइन वर्किंग शुरू हुई, अब विधायकों को भी ऑनलाइन सवाल भेजने की सुविधा मिल गई है। इसके लिए विशेष प्रकार से तैयार किया गए सॉफ्टवेयर का उपयोग विधायकों को करना होता है और इसी के माध्यम से विधायक सवाल भेज देते हैं। इससे सचिवालय को भी आसानी होती है।
विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह ने बताया संसदीय कार्य विभाग विधायकों को लैपटॉप देता है। विधानसभा सचिवालय सिर्फ उन्हें ट्रेनिंग देता है, जिससे वे अपना काम बेहतर ढंग से कर सकें। इस बार भी विधायकों को ट्रेनिंग दी जाएगी।