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PDS के तहत बांटा गया गरीबों में राशन
केंद्र सरकार द्वारा प्रदेश सरकार को लिखे पत्र के जरिये बताया गया है कि, सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के तहत सरकारी राशन दुकानों से गरीबों में बांटे गए चावल इंसानों के खाने लायक नहीं थे। वो पोल्ट्री ग्रेड चावल था, जो इंसानों को पीडीएस के तहत बांट दिया गया। केंद्र सरकार की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि, 30 जुलाई से 2 अगस्त के बीच में 32 सैंपल चावल के लिए गए थे। इसमें कुछ सैंपल वेयरहाउस और कुछ राशन दुकानों से लिए गए थे। इन्हें दिल्ली की सीजीएएल लैब में जांच के लिए भेजा गया था।
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कांग्रेस ने की उच्चस्तरीय जांच की मांग
लैब की रिपोर्ट में सामने आया कि, सभी सैंपल इंसानों के खाने योग्य नहीं थे, सप्लाई किया गया चावल वहां पोल्ट्री ग्रेड का था। केंद्र की रिपोर्ट के खुलासे के बाद प्रदेश में सियासत गरमा गई है। एमपी कांग्रेस ने प्रदेश की बीजेपी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि, राज्य सरकार ने कोरोना संक्रमण काल के दौरान गरीबों को घटिया चावल देने का काम किया है, जो कि जानवरों के खाने लायक था। कांग्रेस ने इस पूरे मामले में उच्चस्तरीय जांच की मांग कर दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की मांग की है।
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भ्रष्टाचार के आरोप
कांग्रेस नेता भूपेंद्र गुप्ता के मुताबिक, चावल वितरण मामले में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और गड़बड़ी सामने आई है। ऐसे में प्रदेश सरकार को अब जांच कर दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करनी चाहिए और साथ ही यह बताना चाहिए कि पूरे प्रदेश में कहां कहां पर पोल्ट्री ग्रेड का चावल का वितरण किया गया है। वहीं, बीजेपी ने भी इसपर जवाबी हमला बोलते हुए राशन दुकान से गरीबों को पोल्ट्री ग्रेड का चावल बांटे जाने के कांग्रेस के आरोपों पर कहा कि, बीते 15 महीने में कांग्रेस सरकार के समय का ये पूरा मामला है। पिछली कांग्रेस सरकार ने भंडारण से लेकर राशन वितरण तक की व्यवस्था की थी, जिसमें सच अब खुलकर सामने आया है। इस पूरे मामले में बीजेपी राज्य सरकार से उच्च स्तरीय जांच की मांग करेगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।